'रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून,पानी बिना ऊबरै मोती, मानुष, चून' Dr. Suresh Awasthi दोहा रचते हुए महाकवि रहीमदास ने कभी नहीं सोचा होगा कि किसी दिन यह शहर पीने के एक एक बूंद पानी को तरसेगा। वैसे पानी एक...
डा राकेश कुमार सिंह, साहित्यकार एवम कवि कई वर्षों बाद एक सप्ताह के लिए अपने पुराने शहर जाने का सौभाग्य मिला। वहीं हॉटल के पास एक कब्र थी जिसपर प्रतिदिन एक व्यक्ति फूल चढ़ाता था। उत्सुकतावश मैं पूछ बैठा कि "यह...
आइये चुनावी रंगों से होली का जायजा लेते हैं। रंगों का असर किसी न किसी रूप में होता ही है और कभी तो ऐसा पक्का रंग चढता है जो मिटने का नाम ही नहीं लेता भले ही खाल छिल...
Dr. Suresh Awasthi एक बुजुर्ग थोड़ा परेशान, थोड़ा गुस्साए टीवी मरम्मत दुकान पर घर का टीवी सेट उठा कर लाये तकनीशियन से बोले जैसे ही कोई न्यूज चैनल लगाता हूँ कुछ खास किस्म के कुत्ते जोर जोर से भौंकने लगते हैं उनकी भौंकन सुन कर घर के बच्चे...
स्वरचित रचनाएं सुनाने के साथ सब्जियों पर भी होती है चकल्लस अपने क्षेत्रों के एक्सपर्ट अक्सर रात में बकैती कर मिटाते है थकान संपर्क बढ़ने के साथ देशों की सीमाएँ लांघ दिलों के रिश्ते जुड़ रहे आवरिष्ठ संवाददाता। यदि...

था, थे, थी

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डॉ सुजाता वर्मा था, थे, थी। यह तीन अक्षर ही हमें प्रिय हैं। यह हमें भूत की ओर ले जाते हैं। हमारे पूर्वजों से हमारा सानिध्य कराते हैं। उनकी यशोकीर्ति के बारे में बताते हैं। हमारी...
मेरी शादी को बीते तीन साल मैंने किया पति से नेक सवाल क्यों न मैं करके पीएचडी प्रोफेसर बन जाऊँ ? दोनों कुलों का मान बढा़ऊँ पति को बात कुछ समझ न आई बोले- अब तुम हो दो बच्चों की मांई कुछ और अधिक कर...

तीन पहलू

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Dr. Rakesh Kumar Singhतेज धूप पसीने से लथपथ भूख से बेहाल पत्थर तोड़ता मज़दूर। पेड़ की छांव कोरा कागज मज़दूर की व्यथा लिखता कलम का सिपाही। सुसज्जित वातानुकूलित कक्ष शीतल पेय मज़दूरों के हालात पर चर्चा करते कानूनविद।
Dr. Suresh Awasthi कुछ लोग गांधी पर बहस कर रहे थे एक बोला गांधी महान थे राजनीतिक उठा पटक से दूर सच्चे इंसान धे उन्होंने चलाया आन्दोलन सत्याग्रह स्वदेशी इसी लिये गाधी थे पक्के कांग्रेसी। दूसरा बोला गांधी जी ने दलितों को गले लगाकर उन्हे हरिजन की पदवी दिलवाई इससे...

चौकीदार

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Dr. Suresh Awasthi शिक्षक बनने की चाहतें कोर्ट में फंस गयीं क्लर्क बनने की कोशिशें पेपर आउट होने के दलदल में धंस गयीं निजी संस्थान के ठेकेदार ने तो बीमार ही कर दिया मेहनताना बहुत कम दिया, खून ज्यादा पिया ओवरएज हो के पकौड़े भी खूब तले पेट भरने भर के...

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