ज़िंदगी के गीत फिर से गुनगुनाने का समय आ गया है।कौन कहता है अब दुनिया से जाने का समय आ गया है।१। दोस्तो संग एक बार फिर ज़ाम छलकाने का समय आ गया है।कौन कहता है अब दुनिया से जाने...
Dr.Suresh Awasthi राजनेताओं ने एक दूसरे पर कीचड़ उछालने के लिए जिस तरह से कुछ शब्दों का घटिया प्रयोग किया, तमाम शब्दों को अपने ऊपर अस्तित्व संकट नज़र आने लगा। अंततः इन शब्दों ने भाषा संघ से गुहार लगाई तो...
Dr. Suresh Awasthi एक आदर्शवादी साध्वी ने एक सिद्धांतवादी सन्त को किसी बात को लेकर सरेआम गरियाया एक दूसरे को नीच, कमीना, कुत्ता और चरित्रहीन बताया। घटना के कुछ दिनों बाद जैसे ही चुनावी माहौल आया लोगों ने उन्हें एक ही मंच पर गाते बजाते पाया तो मेरा दिमाग चकराया मैने...
Dr. Suresh Awasthi उस दिन अचानक हाथों से छूट गया कांच का बर्तन उफ एक झटके में कितने परिवर्तन फर्स पर बिखरी कांच को समेटने में लहूलुहान हो गईं उंगलियां फिर भी मैं रोया नहीं देर तक उंगलियों पर जमे लहू को भी भी धोया नहीं और उस दिन सीख लिया कांच...

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