ज़िंदगी के गीत फिर से गुनगुनाने का समय आ गया है।कौन कहता है अब दुनिया से जाने का समय आ गया है।१।
दोस्तो संग एक बार फिर ज़ाम छलकाने का समय आ गया है।कौन कहता है अब दुनिया से जाने...
Dr.Suresh Awasthi
राजनेताओं ने एक दूसरे पर कीचड़ उछालने के लिए जिस तरह से कुछ शब्दों का घटिया प्रयोग किया, तमाम शब्दों को अपने ऊपर अस्तित्व संकट नज़र आने लगा। अंततः इन शब्दों ने भाषा संघ से गुहार लगाई तो...
Dr. Suresh Awasthi
एक आदर्शवादी साध्वी ने
एक सिद्धांतवादी सन्त को
किसी बात को लेकर
सरेआम गरियाया
एक दूसरे को नीच, कमीना, कुत्ता और चरित्रहीन बताया।
घटना के
कुछ दिनों बाद
जैसे ही चुनावी माहौल आया
लोगों ने उन्हें
एक ही मंच पर गाते बजाते पाया
तो मेरा दिमाग चकराया
मैने...
Dr. Suresh Awasthi
उस दिन अचानक
हाथों से
छूट गया कांच का बर्तन
उफ एक झटके में
कितने परिवर्तन
फर्स पर बिखरी कांच को
समेटने में लहूलुहान हो गईं
उंगलियां
फिर भी मैं रोया नहीं
देर तक उंगलियों पर जमे
लहू को भी भी धोया नहीं
और उस दिन
सीख लिया कांच...