Dr. Suresh Awasthi शिक्षक ने छात्र से पूछा, 'चोर चोर मौसेरे भाई' मुहावरे का अर्थ बताइये छात्र बोला सर ताजा ताजा उदाहरण है गौर फरमाइए अभी अभी हाल में टैगोर व मुखर्जी के बंगाल में एक चोर को बचाने के लिए रास्ट्रीय दीदी सिंहासन छोड़ कर संविधान की टांग तोड़ कर मैदान में...
Dr.Suresh Awasthi राजनेताओं ने एक दूसरे पर कीचड़ उछालने के लिए जिस तरह से कुछ शब्दों का घटिया प्रयोग किया, तमाम शब्दों को अपने ऊपर अस्तित्व संकट नज़र आने लगा। अंततः इन शब्दों ने भाषा संघ से गुहार लगाई तो...
Dr. Rakesh Kumar Singh "Indian weddings and festivals", that is the answer of any tourist in India, if asked, "What do you like in India"? And what they like in Indian marriages? He will simply answer "street dance by baratis...

तीन पहलू

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Dr. Rakesh Kumar Singhतेज धूप पसीने से लथपथ भूख से बेहाल पत्थर तोड़ता मज़दूर। पेड़ की छांव कोरा कागज मज़दूर की व्यथा लिखता कलम का सिपाही। सुसज्जित वातानुकूलित कक्ष शीतल पेय मज़दूरों के हालात पर चर्चा करते कानूनविद।
Dr. Suresh Awasthi ईवीएम ने मतपेटिका से कहा, बहना देश के तमाम नेता आप की याद में हिचकियाँ ले रहे हैं आप को वापस बुलाने की दुहाई दे रहे हैं मेरे को लेकर खड़े कर रहे हैं आरोपों के पहाड़ बार बार कह रहे हैं ईवीएम से हो रही छेड़छाड़ मतपेटिका...

चौकीदार

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Dr. Suresh Awasthi शिक्षक बनने की चाहतें कोर्ट में फंस गयीं क्लर्क बनने की कोशिशें पेपर आउट होने के दलदल में धंस गयीं निजी संस्थान के ठेकेदार ने तो बीमार ही कर दिया मेहनताना बहुत कम दिया, खून ज्यादा पिया ओवरएज हो के पकौड़े भी खूब तले पेट भरने भर के...
Mohini Tiwariबिजली विभाग ने की हड़बड़ी बिलों में आई महा गड़बड़ी नेता जी के घर लग गया मेला ताल ठोककर बोला बेवकूफ चेला सुनो भाइयों, नेता जी हमारे बड़े काबिल वही चुकाएंगे सबके बिल ! चार सौ चालीस वोल्ट का लगा झटका नेता ने चेले को...
Dr. Suresh Awasthi जरूरतों की जमीन पर स्वार्थ की खाद और छल प्रपंच के पानी से आज कल ये संस्क्रति तेजी से कर रही है ग्रो नाम है: यूज एंड थ्रो अर्थात : रिश्तों की सेहत प्रेम और विस्वास की आंच पर मत सेंको जब, जैसी जरूरत हो यूज करो, कूड़े में फेंको। शब्द...
'रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून,पानी बिना ऊबरै मोती, मानुष, चून' Dr. Suresh Awasthi दोहा रचते हुए महाकवि रहीमदास ने कभी नहीं सोचा होगा कि किसी दिन यह शहर पीने के एक एक बूंद पानी को तरसेगा। वैसे पानी एक...
Dr. Suresh Awasthi उस दिन अचानक हाथों से छूट गया कांच का बर्तन उफ एक झटके में कितने परिवर्तन फर्स पर बिखरी कांच को समेटने में लहूलुहान हो गईं उंगलियां फिर भी मैं रोया नहीं देर तक उंगलियों पर जमे लहू को भी भी धोया नहीं और उस दिन सीख लिया कांच...

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