आइये चुनावी रंगों से होली का जायजा लेते हैं। रंगों का असर किसी न किसी रूप में होता ही है और कभी तो ऐसा पक्का रंग चढता है जो मिटने का नाम ही नहीं लेता भले ही खाल छिल...
उस दिन मैंने टीवी किया ऑन
चीख-चीखकर एक एंकर दे रहा था ज्ञान
कोरोना पर बहस का सिलसिला था जारी
नेता, डॉक्टर, वकील, संत
कौन था आखिर किस पर भारी ?
सब के मुँह पर थी मास्क की छाया
कोरोना के फेर ने सबको उलझाया
'साजिश...
Dr. Suresh Awasthi
क्या करेगा चांद, क्या करेगी चांदनी? कविता की यह पंक्ति कई बार विशेष स्थितियों में याद आती है? उस दिन एक ठेकेदार साहब के संग बैठने का मौका मिला। सड़क बनाने के ठेके की डील हो रही...
डा राकेश कुमार सिंह, साहित्यकार एवम कवि
कई वर्षों बाद एक सप्ताह के लिए अपने पुराने शहर जाने का सौभाग्य मिला। वहीं हॉटल के पास एक कब्र थी जिसपर प्रतिदिन एक व्यक्ति फूल चढ़ाता था।
उत्सुकतावश मैं पूछ बैठा कि "यह...
''पुराने कैलेंडर से नये पर
उतारा दूध का हिसाब।
अलमारी में रख दी
बीत चुके साल के
त्योहारों की किताब।
पहले व्यापारिक मित्रों को
शुभ कामना संदेश भेजा।
फिर पहचान वालों को सहेजा।
जोड़ी-घटाई दुनियादारी।
बस हो गयी नये साल के
स्वागत की तैयारी।''
आम आदमी से पूछा, नये साल...
विशेष रिपोर्ट पाने के लिए एक tv चैनल का रिपोर्टर एक टॉपर छात्र के पास पंहुचा। छात्र ने कैमरे के सामने बोलने से मना कर दिया । रिपोर्टर ने तब लिखित सवाल जवाब किये ।
रिपोर्टर -"टॉपर बन कर आपको...
Dr. Suresh Awasthi
गुरुदेव जब गुरुकुल पहुंचे बहुत गुस्से में थे। किसी ने उन्हें सूचना दी थी कि एक शिष्य ने दूसरे शिष्य के प्रति अपमानजनक भाषा का प्रयोग करके गुरुकुल की आचार संहिता तार तार कर दी है। गुरुदेव...
ज़िंदगी के गीत फिर से गुनगुनाने का समय आ गया है।कौन कहता है अब दुनिया से जाने का समय आ गया है।१।
दोस्तो संग एक बार फिर ज़ाम छलकाने का समय आ गया है।कौन कहता है अब दुनिया से जाने...
Mohini Tiwariमोबाइल स्क्रीन ने ब्लैकबोर्ड से की ठिठोली
इतराती अदाओ संग बड़े ताव से बोली
अरे बुद्धू! तुम्हारा गुजर गया दौर
अब सब देख रहे मेरी ओर
तुम स्कूलों में पड़े धूल फाँक रहे हो
व्यर्थ ही खुद को मुझसे आँक रहे हो
पहले मैं...
डॉ सुजाता वर्मा
था, थे, थी। यह तीन अक्षर ही हमें प्रिय हैं। यह हमें भूत की ओर ले जाते हैं। हमारे पूर्वजों से हमारा सानिध्य कराते हैं। उनकी यशोकीर्ति के बारे में बताते हैं। हमारी...