ऑनलाइन स्टडी

0
887

Mohini Tiwari
मोबाइल स्क्रीन ने ब्लैकबोर्ड से की ठिठोली
इतराती अदाओ संग बड़े ताव से बोली
अरे बुद्धू! तुम्हारा गुजर गया दौर
अब सब देख रहे मेरी ओर
तुम स्कूलों में पड़े धूल फाँक रहे हो
व्यर्थ ही खुद को मुझसे आँक रहे हो
पहले मैं हंसती-हंसाती थी
अब बच्चों को ज्ञान बाँट रही हूँ
बाँध लो अपना बोरिया-बिस्तर
मैं तुम्हारी जड़े काट रही हूँ ।

ब्लैकबोर्ड ने हाथ जोड़कर किया नमस्ते
बोला, बड़े खूब है तुम्हारे रस्ते
तुमने तो ज्ञान विज्ञान की पलद दी परिभाषाएँ
चारदीवारी में कैद दिमागों को दे रही हो दिशाएँ
तुम क्या जानो खेल-कूद,बच्चों की हमजोली
तुमने कहाँ देखी स्कूलों की होली?
तुम न सिखा पाओगी भावनाओं का योग
सीमित है तुम्हारे सारे प्रयोग
जो तुम होती सर्वथा अनुकूल
कभी न खुलते कोई स्कूल
यदि तुम ही रही शिक्षा का आधार
हो जाएगा देश का बँटाधार…।

  • मोहिनी तिवारी

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here