“राम और श्याम” -सासण गिर के प्रसिद्ध शेर

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Dr. Rakesh Kumar Singh
एक साथ दो दर्जन से अधिक शावकों के साथ सासण गिर के जंगलों के बड़े भूभाग के साम्राज्य में विचरण करते और एशियाई शेरों की शानदार विरासत को आगे बढ़ाते “राम और श्याम” बब्बर शेर भारत के सर्वाधिक फोटोग्राफ किए गए शेर थे। विशेषकर राम को यह निर्विवाद दर्ज़ा प्राप्त था। राम और श्याम एशियाई शेरों के औसतन तीन वर्षों के साम्राज्य के विपरीत अपनी चपलता और बौद्धिक कौशलता से सात वर्षों तक सासण गिर के बड़े भूभाग पर काबिज रहे।

राम और श्याम वर्ष 2009 से 2016 तक सासण गिर के पर्यटन क्षेत्र में एकछत्र राज्य करते रहे। लेकिन ऐसा नहीं है कि इन्हें विरोधियों का सामना नहीं करना पड़ता था। लेकिन हर बार अपने नए पैंतरों और अदम्य साहस से दोनों विरोधियों को धाराशाई कर देते थे। शेरों के सामान्य स्वभाव, जिसमें नर शेर अक्सर साथ-साथ अपने साम्राज्य की पेट्रोलिंग करते हैं, के विपरीत यह दोनों भाई एक दूसरे की विपरीत दिशा में जाकर अपने साम्राज्य की पेट्रोलिंग करते थे। जिससे कभी भी इनका क्षेत्र और समूह किसी भी तरफ से विरोधियों के लिए सुभेद्य नहीं रहता था।

राम को यह नाम उसके भाई श्याम के कारण मिला था। क्योंकि श्याम के अयाल ऊपर से अधिक काले थे इसीलिए वह श्याम और दूसरा भाई राम कहलाया। राम के माथे पर एक निशान था जिससे वह आसानी से पहचाना जा सकता था।
कहते हैं समय के साथ हर शक्तिशाली साम्राज्य ढह जाता है। राम और श्याम भी बढ़ती उम्र के साथ अपने साम्राज्य को संभालते रहे लेकिन नए युवाओं के लगातार आक्रमण भी होते रहे। प्रतिद्वंद्वियों द्वारा दोनों को सत्ता से बाहर करने के कई प्रयास किए गए लेकिन ऐसे सभी प्रयास विफल रहे। लेकिन इनके शासनकाल के अंत में, दो अन्य बब्बर शेर भाई, “रविराज और कविराज”, जो किसी अन्य क्षेत्र से आए थे, ने आंशिक रूप से इनके साम्राज्य के कुछ क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था। राम की नवंबर 2016 में मृत्यु के पश्चात् श्याम की भी कुछ समय बाद मृत्यु हो गई। राम और श्याम का लगातार सात वर्षों तक सासण गिर पर एकछत्र राज्य आज भी अटूट कीर्तिमान है। साथ ही वे दोनों अपने पीछे वो शानदार और अविस्मरणीय विरासत छोड़ गए हैं जिसे सासण गिर के इतिहास में भुला पाना आसान नहीं होगा।

डॉ राकेश कुमार सिंह, वन्य जीव विशेषज्ञ