सफ़ेद होते बालों में अब खिज़ाब नजर आ रहा है,
नजरों पर चश्मा भी चढ़ता जा रहा है,
उमंगों का सागर अब और हिलोरे खा रहा है,
जी हाँ, बदलता मौसम मुस्कुरा रहा है।।
जवानी का सूरज ढलता जा रहा है,
जिम्मेदारियों का बोझ भले ही बढ़ता जा रहा है,
यारों का संग अब और गुद्गुदा रहा है,
जी हाँ, बदलता मौसम मुस्कुरा रहा है।।
ज़िंदगी की जंग में अब मज़ा आ रहा है,
यादों की बगिया में फूल खिलता जा रहा है,
सफर ज़िन्दगी का मंज़िल की ओर बढ़ता जा रहा है,
जी हाँ,बदलता मौसम मुस्कुरा रहा है।।
- डॉ आर के सिंह