व्यंग्य

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Dr. Suresh Awasthi

अ अगड़ा
ब पिछड़ा
स अति पिछड़ा
द तगड़ा
चारों ने इक दूजे को
भाषण के चिमटे से पकड़ा
फिर जम कर रगड़ा
जनता समझ न पाई लफड़ा
किसका भारी है पलड़ा
पागल सी हो फाड़े कपड़ा
चुनाव बाद
न कोई अगड़ा
न कोई पिछड़ा
हर कोई तगड़ा
फिर काहे का झगड़ा ?
संसद में होगा भंगड़ा!