वज्रासन

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Dr. S.L. YADAV
इसके अभ्यास से शरीर वज्र के समान हो जाता है ,इसलिए योगियों ने इसका नाम वज्रासन रखा। इस आसन के अभ्यास से शरीर सुदृढ़ हो जाता है।
 
बिधि ,लाभ एवं सावधनियाँ –
वज्रासन की बिधि – सबसे पहले किसी हवादार एवं समतल जमींन पर योग मैट (चटाई) बिछाकर बैठते है, फिर दोनों पैर सामने फैलाकर सीधा करते है। अब बायें पैर को घुटने से मोड़कर एड़ियों को गुदा की तरफ ले जाते है फिर दाहिनें पैर को भी मोड़कर उसी पर चित्रानुसार बैठते है। दोनों एड़ियाँ हिप्स की तरफ साइड में खुली हों। दोनों हाथ घुटने पर रखकर रीढ़ की हड्डी सीधी एवं निगाहें सामने रखते हैं। घुटने आपस में मिले होने चाहिए।
वज्रासन के लाभ –
  • वज्रासन को भोजनोपरांत 5 मिनट रोज करने से हड्डियाँ बज्र के के समान मजबूत हो जाती हैं।
  • भोजनोपरांत 5 मिनट रोज करने से भोजन आसानी से पच जाता है।
  • इससे पंजे,पिंडलियाँ एवं जंघाओं को बल मिलता है।
  • अतिनिद्रा वालों को यह आसन परम् हितकारी है।
  • छात्रों एवं रात्रि को जागने वालों के लिए बहुत उपयोगी आसन है।
  • नाड़ियों का प्रभाव उर्ध्वगामी होने से भोजन पचकर शुद्ध रस बनता है।
  • इसके अभ्यास से कब्ज,गैस एवं डकारें आने की समस्या दूर होती है।
  • घुटने का लचीलापन बढ़ जाता है जिससे घुटने मजबूत होते है।
  • जँघाओं को पतला करने का बहुत अच्छा आसन है।
  • अकेला आसन है जो भोजन से पहले एवं भोजन के ठीक बाद किया जा सकता है।

वज्रासन में सावधानियाँ – 

पाइल्स (ववासीर) में बज्रासन नहीं  चाहिए।
घुटनोँ में जादा दर्द हो तो भी नहीं करना चाहिए।
जंघाएँ जादा पतली हो तो भी जादा देर इसका अभ्यास वर्जित है।
वज्रासन में भोजन करने से बिष बन जाता है। इसलिए वर्जित है।
आसनो का पूरा लाभ प्राप्त करने के लिए किसी योग चिकित्सक से सीख कर अभ्यास करना चाहिए।