Dr. Rakesh Kumar Singh साल, खैर और सागौन के विशाल वृक्षों के बीच बह रही फीका और बनेली नदियों के संगम में अठखेलियां करते हाथियों का झुंड और उन्हें दूर से निहारता ग्रासलैंड में चर रहे चीतलों का समूह और...
March 18-The Department of Political Science, Christ Church College Kanpur, and the Indian Institute of Public Administration Kanpur Branch jointly organized a two-day National Seminar on “G20 Initiatives: Towards inclusive and sustainable growth.” This was the first seminar organized by...
Pankaj Bajapiआदिवासी समाज सदैव अपनी अनोखी परंपराओं के लिए पहचाना जाता है । ऐसी ही एक अनोखी परंपरा गुजरात राज्य के छोटा उदयपुर में लड़के के विवाह के समय पालन किया जाता है ।      इस समुदाय विशेष में लड़के...
Dr. Kamal Musaddi हजारों वर्षों से चली आ रही एक कहावत कि औलाद बुढ़ापे का सहारा होती है। जब समाजशास्त्रियों ने परिवार को परिभाषित किया तो यही कहा "परिवार वो संस्था है जहां बच्चों का जन्म परवरिश का दायित्व और...
Dr. Kamal Musaddi अकेले  नही  हो तुम ये सहमे  से पहाड़ मासूम  बेलें  मजबूत  ताड़ सोये  पाखी  सहमी तितलियाँ दहकते  जंगल  भटकती  पगडंडियों सनसनाती  बर्फीली  हवायें आम आवाम की दुआएं सब तुम्हारे  साथ है तुम्हारे करोड़ों  पैर करोड़ों  हाथ है तुम तो मौत  के साये में जिन्दगी  के खेल खेले ...
Dr. Kamal Musaddi एक धमाका पुलवामा में हुआ और पूरा देश थर्रा गया।रोटी बिलखती चीत्कार करती खबरें और आक्रोशित जनमानस ।हर देश भक्त की भृकुटियों में बल और मुट्ठी में कसाव।चारों तरफ नारे जुलूस ,कैंडिल मार्च और श्रद्धांजलि सभाओं का...
Dr.Kamal Musaddi शाम के 6 बजे थे। मैं घर के सारे काम निपटा कर वाक पर जाने की सोच ही रही थी कि बाहर पड़ोसी के बच्चे की आवाज सुनाई दी, खोलो अले कोई है खोलो...खोलो की आवाज के साथ-साथ...
Dr. Kamal Musaddi मुझे आज तक एक प्रश्न का उत्तर नही मिला कि ज़िंदगी जब पीछे मुड़कर देखती है तो सब कुछ इतना सुंदर सुखद और अच्छा क्यों दिखता है क्यों हमें वर्तमान रुलाता है और भविष्य डराता है। आज...

फेयरवेल

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Dr. Kamal Musaddi मुदित रोज दिन में एक दो बार माँ से लिपट कर कहता मम्मा स्कूल छूट जाएगा।माँ प्यार से उसके सिर पर हाथ फेर कर पूछती कोई बात नही जहां कॉलेज पढ़ने जाओगे वहां नए दोस्त मिल जाएंगे।लेकिन...
Dr. Kamal Musaddi जब जब जिंदगी के प्रति हताशा ,निराशा और बैराग्य उत्पन्न होता है।तब-तब कुछ चेहरे,कुछ आवाजें,कुछ घटनाएं मन पर दस्तक तो देती ही हैं,दिमाग पर भी हथौड़े सी चोट करती हैं कि जब हम नही हारे तब तुम...

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