एक किन्नर की पाती

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Pankaj Bajapi

‘किन्नर’ l सुप्रीम कोर्ट के अनुसार ‘थर्ड जेंडर’ ।सृष्टि की मूल चूक का प्रतीक है या फिर अमानवीय कृत्य का साक्षी । वैसे किन्नरों के कल्याण कार्य को समर्पित व्यक्तियों का मानना है कि प्राकृतिक रूप से किन्नर न के बराबर है। अधिकांश किन्नरों के इतिहास उनको जबरन किन्नर बनाये जाने का गवाह है।एक ऐसे ही जबरन बनाये गए किन्नर की पाती उसकी पीड़ा व्यक्त करती है।यह पाती उसने एक कल्याण सभा के पदाधिकारी को भेजी थी–

“महोदय,

मेरा नाम राम उर्फ रामा है।मैं हरिद्वार का रहने वाला हुँ।मुझे बचपन से डांस व स्टेज प्रोग्रामों का शौक रहा है जिसका फायदा हरिद्वार के हिजड़ों ने उठाया।वे मुझे यह कहकर दिल्ली ले आये कि वहां हमारा स्टेज शो है।यहां लाकर उन्होंने मुझे रंजीता के पास बेच दिया। रंजीता मजनू के टीले में रहती है।

जब मुझे पता चला कि मुझे हिजड़ों में बेच दिया गया है तो एक दिन मैं मौका पाकर वहां से हरिद्वार भाग गया।लेकिन कुछ दिनों बाद हरिद्वार के हिजड़ों ने मुझे गुंडों के जरिये घर से उठवा लिया और अपने घर ले आये।मुझ पर मिट्टी का तेल छिड़क कर आग लगा दी ।मैं किसी तरह वहां से जान बचाकर भागा।

मेरी माँ ने हरिद्वार के अस्पताल में मेरा इलाज करवाया ।दो महीने बाद ही डरा -धमका कर हिजड़े मुझे फिर दिल्ली ले गए और रंजीता के यहां छोड़ आये। रंजीता और गब्बर ने मुझे बहुत मारा-पीटा ।मेरे बाल काट दिए गए और मुझसे धंधा करवाने लगे।उन्होंने धीरे -धीरे मुझे नशे का आदी बना दिया।

एक दिन ज्यादा नशा करवा कर वे मुझे नंदनगरी के डॉक्टर के पास ले गए और मेरा लिंग कटवा दिया।फिर पांच दिन बाद मुझे घर ले आये।अगले दिन मेरी छठी मनायी गयी और सवा महीने बाद मेरी गोद भरी गयी ।इसके बाद मेरी जिंदगी हिजड़ों के साथ बीतने लगी।

मैं मन ही मन रोता और अपने शौक को कोसता।मेरे जैसे कितने ही बालकों को ये लोग हिजड़े बनाकर उनसे कुकृत्य कराते है।पुलिस हमारी कोई मदद नही करती।”

अब यह किन्नर अपने अलग समाज में अन्य किन्नरों के साथ रहता है।सभी के सुख में शामिल होता है।नाच गा व ढोल बजाकर उनके सुख को दूना कर देता है।दूसरों के सुख को दूना करने वाला यह किन्नर आज भी अथाह वेदना सागर में डूबता है।वेदना लहरों में उतराता है वेदना से किंतु उबर नही पाता है।

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