‘साबी सैंड रिज़र्व की धरती पर इतिहास में कभी इतना खून नहीं बहा था। जितना इन छः शेर भाइयों; जिन्हें दुनिया मपोगो ब्रदर्स के नाम से जानती है; ने बहाया। इन्होंने वर्चस्व की लड़ाई में सौ से अधिक शेरों को मार डाला। अपने चरम पर लगभग 70 हज़ार हेक्टेयर में इनका साम्राज्य फैला था।’
वर्ष– 2000 माह– जून–
साबी सैंड गेम रिज़र्व के ताकतवर स्पार्टा बब्बर शेर प्राइड (बब्बर शेरों का समूह/परिवार जिसमें कई मादाएं, शावक व एक या चार अथवा कभी-कभी अधिकतम पांच तक नर होते हैं) में एक अत्यंत असामान्य घटना घटती है। यह प्राइड अपने एक लगभग 20 माह के नर शावक को मृत्यु के कारण खो देता है। और ठीक उसी समय किसी अन्य प्राइड से बिछड़ा एक उसी उम्र का नर शावक चुपचाप स्पार्टा प्राइड में दाखिल हो जाता है। किसी अन्य प्राइड के इस उम्र के नर शावक को नए प्राइड के नरों द्वारा स्वीकार कर लेना लगभग असंभव होता है। परंतु सम्भवतः मृत शावक व नए शावक की एक ही उम्र होने से शोक संतप्त स्पार्टा प्राइड ने नए शावक को स्वीकार कर लिया होगा। जो भी हो, नियति को कुछ और ही मंजूर था। इस असामान्य घटना से साबी सैंड की धरती पर आने वाले समय में बहने वाले लहू की पटकथा लिखी जा चुकी थी। यह शावक अन्य शावकों से बड़ा था इसलिए इसका नाम पड़ा माखुलू जिसका ज़ुलु भाषा मे अर्थ होता है बड़ा/प्रभावशाली। उस समय स्पार्टा प्राइड में पहले से रह रहे पांच छोटे नर शावक भी जल्द ही माखुलू से घुल-मिल गए। भविष्य में आतंक के पर्याय बने इन पांच शावकों का पहले परिचय प्राप्त कर लेते हैं-
प्रेटी–बॉय– अक्सर लड़ाई से दूर रहने के कारण इसके चेहरे पर चोटों के कम निशान थे।
मिस्टर–टी/साटन– अयाल के बालों का महौक स्टाइल तथा अपने भाइयों के ही बच्चों को चुपचाप मार देने की पैशाचिक प्रवृत्ति के कारण साटन भी कहलाया।
स्कू–स्पाइन– रीढ़ व नितंबो पर चोट के निशान, इसके नाम को चरितार्थ करते थे।
रासटा/ड्रेडलोक– बिखरे हुए अयाल के कारण ड्रेडलोक भी कहलाता था।
किंकी–टेल– मुड़ी हुई पूंछ से आसानी से पहचान में आता था।
वर्ष 2004 की एक सुबह–
युवा नर शावकों पर अचानक उन्हीं के पिताओं और समूह के अन्य शेरों ने हमला कर दिया और प्रकृति के नियमानुसार स्पार्टा प्राइड से भगा दिया। युवा शावक कुछ दिन तो शेरों व अन्य शिकारी वन्यजीवों के बचे-खुचे गोश्त पर गुजारा करते रहे। लेकिन भूख ने उन्हें शिकार पर हाथ आजमाने के लिए मजबूर कर दिया। आश्चर्यजनक रूप से वे जल्द ही बड़े-बड़े शाकाहारी जानवरों जंगली भैंसा, जिराफ यहाँ तक कि दरियाई घोड़े तक का शिकार करने लगे। जबकि अमूमन इस उम्र के युवा शावकों के लिए यह असम्भव कार्य होता है।
वर्ष 2006–
युवा होते शेरों ने शेरनियों के साथ अपना प्राइड बनाने के लिए उत्तरी साबी सैंड्स में प्रवेश किया। वे जोर-जोर से दहाड़ते हुए दुश्मन के इलाके में घुस गए और उस इलाके को लड़ने से पहले ही अपना मान लिया। यह एक नये तरीके का असामान्य आक्रमण था और जिसके लिए वे बाद में प्रसिद्ध भी हुए। उस प्राइड के चार नरों में से एक की निर्मम हत्या होने से शेष तीन नर मपोगो के डर से अपने क्षेत्र से स्वतः भाग गए। इस प्रकार इनके आतंक का शासन आरम्भ हुआ। इनके आतंक से हर प्राइड के नर भागने लगे। जो नहीं भागते थे वे निर्ममतापूर्वक मार कर खा लिए जाते थे। यह पैशाचिक प्रवृत्ति अमूमन शेरों में नहीं पाई जाती। परन्तु यह भाई तो जैसे निर्ममता की हद से गुजरने को आतुर थे। वे कभी-कभी तो छोटे शावकों के साथ प्रतिरोध करने वाली माँ शेरनियों को भी मौत के घाट उतारने में जरा भी नहीं हिचकते थे। अभूतपूर्व सफलता के शिखर गढ़ते हुए इन छः भाइयों ने लगभग छः माह में ही आधे साबी सैंड पर कब्जा जमा लिया। लगभग छः विभिन्न प्राइड इनके नियंत्रण में आ गए। साबी सैंड की धरती को इन्होंने अभूतपूर्व रूप से अपनी ही प्रजाति के रक्त से रक्तरंजित कर दिया।
वर्ष 2008–
लेकिन इतनी सफलता के बाद आंतरिक सत्ता संघर्ष होना लाज़िमी था। और एक दिन माखुलू और मिस्टर-टी की आंतरिक कलह भयानक लड़ाई में परिवर्तित हो गई। उस दिन के बाद मिस्टर-टी और किंकी-टेल साबी सैंड के पश्चिमी भाग में प्रवेश कर गए। जहां उन्होंने दो प्राइड पर कब्जा जमाने के लिए अपने भाइयों से मदद मांगी। जिसमें माखुलू को छोड़ अन्य सब भाइयों ने मदद करी और दो नए प्राइड भी मपोगो के नियंत्रण में आ गए। हालांकि इसके तुरंत बाद बाकी तीन भाई फिर माखुलू के पास लौट गए। और मिस्टर-टी व किंकी-टेल नए प्राइड के सूबेदार बने रहे।
वर्ष 2010–
मपोगो ब्रदर्स ने लगभग पूरे साबी सैंड पर राज किया। परन्तु मपोगो की बढ़ती उम्र और आंतरिक फूट का फायदा उठा कर दूसरे नए युवा शेरों के समूह ने एक-एक कर इनके प्राइड पर अधिकार करना प्रारंभ किया। किंकी-टेल व मिस्टर-टी का अंत अत्यंत दर्दनाक रहा। दोनों को पांच युवा शेरों के समूह (मजिनगिलने लायन ब्रदर्स) ने एक लड़ाई में अलग कर दिया। लेकिन इतने के बाद भी किंकी-टेल ने एक मजिनगिलने युवा शेर को मार गिराया। पर युवावस्था को पार कर चुके किंकी-टेल को दूसरे चार युवा मजिनगिलने लायन ब्रदर्स ने लगभग जिंदा ही खाना प्रारम्भ कर दिया। कुछ दिन पश्चात यही हाल मिस्टर-टी का भी हुआ। पर वे दोनों बहादुर की तरह अलग-अलग अंतिम सांस तक लड़े।
वर्ष 2012-13-
अन्य चार मपोगो ब्रदर्स भी धीरे-धीरे अन्य शेरों के साथ वर्चस्व की लड़ाई या बढ़ती उम्र के कारण शिकार करने में असमर्थ होने से साबी सैंड की धरती से एक कभी न मिटने वाला इतिहास लिख कर चले गए। जिस ढलती उम्र में शेर अपने आप को युवा शेर समूहों से दूर रखते हैं, उस उम्र में भी माखुलू अपने एकमात्र जीवित बचे भाई प्रेटी-बॉय के साथ पड़ोस के क्रुगर नॅशनल पार्क में लगातार विभिन्न प्राइड पर हमला करता रहा। हालांकि वे फिर कभी सफल नहीं हुए पर इस उम्र में भी ऐसा गज़ब का जज़बा अपने आप में ही एक मिसाल है।
मपोगो शेरों ने साबी सैंड की धरती पर इतना लहू बहाया कि वह लगभग शेर विहीन हो गई। कई शेरों के समूह लगभग पूरी तरह इनकी बर्बरता की भेंट चढ़ गए। विश्व के किसी भी जंगल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि किसी प्रजाति ने अपनी ही प्रजाति का इतना खून बहाया कि उस जंगल का इको सिस्टम (पारिस्थितिक तंत्र) ही बिगड़ गया। शेरों की कम हुई संख्या के फलस्वरूप अन्य मांसाहारियों की संख्या में वृद्धि हो गई। जिससे पूरी खाद्य श्रखला ही अव्यवस्थित हो गई।
फिलहाल जो भी हो मपोगो ब्रदर्स ने बहादुरी के वो आयाम स्थापित किये जो शायद ही कभी किसी अन्य शेर समूह के लिए सम्भव हो। आज भले ही साबी सैंड की धरती से मपोगो शेर विदा हो चुके हैं, पर उनकी कहानियां किसी फंतासी से कम नहीं, जो इन जंगल के बेताज बादशाहों को निःसंदेह लिविंग लीजेंड बना देने के लिए पर्याप्त हैं।
–डॉ आरके सिंह, वन्य जीव विशेषज्ञ, कवि एवम स्तम्भकार
Very interesting sir..you once mentioned this real incident during our internship in kanpur zoo.
Valuable information.You are gr8. We are always inquisitive to have obscured facts
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