वाष्प स्नान (Steam bath) – सौंदर्य वर्धक एवं मोटापा नाशक प्रयोग

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Dr. S.L. Yadav
लाभ एवं सावधानियाँ-
वाष्प स्नान (Steam bath )
वाष्प स्नान (स्टीम बाथ) मानव जीवन के लिए किसी वरदान जैसा ही है। जो मनुष्य शरीर की  कोशिकीय (cell ) स्तर पर सफाई करके किसी भी बीमारी से बचाती है एवं आयी हुई समस्याओ को दूर करती है। किसी बक्सेनुमा चेम्बर में बैठ कर स्टीमर या कुकर के सहारे होने वाला स्नान,वाष्प स्नान कहलाता है। स्टीम बाथ बिभिन्य तरीके से किया जा सकता है। इसमें एक निश्चित तापमान पर एक निश्चित समय तक बिना किसी कपडे के स्टीम चैम्बर में बैठना होता है जिसमे गर्दन के नीचे पूरे शरीर में भाप के माध्यम से खूब पसीना निकालता है यह सब किसी विषेशज्ञ की देख रेख में होता है। वाष्प शरीर की मृत कोशिकाओ को बाहर निकाल कर त्वचा को साफ कर देती हैं जिससे त्वचा मुलायम व चमकदार हो जाती है। शरीर की
 रोग प्रतिरोधक क्षमता  बढ़ जाती है जिससे सर्दी से होने वाले सभी रोगों से बचाता हैं। शुरूआती दौर की कैंसर कोशिकाओं को ख़त्म करने में मद्त मिलती हैं। वजन कम करके शरीर को इन्चेज में कम करके शरीर को सही आकर प्रदान करता हैं।
स्टीम बाथ के लाभ –
वाष्प स्नान के प्रमुख लाभ इस प्रकार है –
1-शुरूआती दौर की कैंसर कोशिकाओं को ख़त्म करने में मद्त मिलती हैं।
2-वाष्प शरीर की मृत कोशिकाओ को बाहर निकाल कर त्वचा को साफ कर देती हैं जिससे त्वचा मुलायम व चमकदार हो जाती है। 
3-शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है जिससे सर्दी से होने वाले सभी रोगों (इन्फ्लूएंजा,जुखाम,खांसी,ठण्ड) से बचाता हैं।
4-वाष्प स्नान में पसीना होने में ऊर्जा की खपत होती है जो वसा (चर्वी /फैट ) एवं कार्वोहाइड्रेट से मिलती है जिससे वजन घटता है एवं शरीर को इन्चेज में कम करके शरीर को सही आकर प्रदान करता हैं।
5-मांसपेशियों की थकान को दूर करता है। 
6-जोड़ो लचीला बना देता है जिससे गठिया,अर्थराइटिस जैसे रोगों के दर्द में आराम देता है। 
7-भाप स्नान शरीर को ऊर्जावान बनता है। 
8-रक्तसंचार बढ़ा कर रक्त को शुद्ध (साफ ) करता है। 
9-नस नाडियों को लचीला बना कर रक्त अवरोध को दूर करता है।
10-किडनी को साफ करके उसे मजबूत बनता है। 
11-प्रजनन संबंधी समस्याओं को दूर करता है। 
12-भाप स्नान से कब्ज को दूर करने में मदत मिलती है। 
13-वाष्प स्नान के नियमित अभ्यास से बैक्टीरिया,वायरस एवं फंगस नष्ट हो जाते है जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदत मिलती है।
14-वाष्प स्नान त्वचा के नीचे जमा गंदगी को निकालकर त्वचा रोगों के होने से बचाता है। 
15-मल निष्कासक अंगों (त्वचा,मूत्राशय/किडनी,मलाशय,केफ़डे ) को सक्रिय बनता है। जिसके कारण किसी भी रोग को होने की सारी सम्भावना को ख़त्म करता है। 
16-वाष्प स्नान मन को शांत करके तनाव,चिंता,अवसाद जैसी विकराल समस्याओ से निजात दिलाने का सबसे अच्छा एवं सरल उपाय है। नींद की समस्या दूर हो जाती है । 
वाष्प स्नान में सावधानियाँ –
खाली पेट (भोजन के 1 से 1.5 घंटे बाद ) लेना चाहिए। 
वाष्प स्नान से पहले आधे से 1 लीटर पानी जरूर पीना चाहिए। 
बिना कपड़े के(नग्न ) वाष्प स्नान लेना चाहिए। 
सम्भव हो तो सरसो के तेल की मालिश करके वाष्प स्नान लेना चाहिए।
ह्रदय की समस्याओ एवं उच्च रक्तचाप(काफी जादा ) में चिकित्स्क की देख रेखा में लेना चाहिए। 
कुछ त्वचा रोगों में भी सलाह के साथ ही लेना चाहिए। 
वास्प स्नान 10 से 20 मिनट अपने शरीर की क्षमतानुसार लेना चाहिए। 
वाष्प स्नान के बाद सामान्य पानी सर्दियों में गुनगुने पानी से स्नान जरूर करना चाहिए।
किसी केमिकल वाले साबुन का प्रयोग नहीं करना चाहिए। प्राकृतिक पेस्ट 
(मुल्तानी मिटटी सोप,बेसन,बॉडी पैक)का प्रयोग किया जा सकता है। 
वाष्प स्नान लेते समय सिर को पानी से गीला करके गीली तौलिया लपेटकर स्टीम  बॉक्स में जाना चाहिए।
वाष्प स्नान के बाद यथासंभव साफ कपड़े पहनना चाहिए। 
अगर वाष्प स्नान के समय उलटी,चक्कर या साँस की तकलीफ लगे तो तुरंत स्टीम चेम्बर
 से बाहर आ जाना चाहिए।
विशेष- वाष्प स्नान प्र्तेक व्यक्ति के लिए लाभदायक है इसे प्र्तेक मौसम में किया जा सकता है। 
 वाष्प स्नान के समय शरीर पर धातु के गहनों का प्रयोग न करें।
वाष्प स्नान में खूब पसीना आता है जिससे शरीर में कभी कभी नमक की मात्रा कम हो  
जाती है जिसे बाद में नमकीन नाश्ता से पूरा किया जा सकता है।

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