गोमुखासन (Cow Face Pose)

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Dr. S.L. Yadav

बिधि,लाभ एवं सावधानियाँ –
इस आसन की बहुत सारी खूबियाँ (समानता ) गाय से मिलती जुलती है इस लिए इसे”गोमुखासन” के नाम से जाना जाता हैं।

गोमुखासन की विधि- सबसे पहले किसी समतल जमीन पर योग मैट या चटाई बिछाकर अर्ध-वज्रासन (चित्रानुसर ) में बैठते हैं। दोनों घुटनों को एक दूसरों के ऊपर ले आते हैं। अब जो पैर ऊपर है वही हाथ कंधे के ऊपर से ले जायें और दूसरे हाथ को नीचे से ले जाकर पीठ की तरफ दोनों हाथ की उंगुलियों को आपस में फ़साने (ग्रिप) का प्रयास करते हैं। पकड़ना मुश्किल लगे तो रस्सी या रुमाल के सहारे भी पकड़ सकते हैं। ऊपर वाले हाथ की कोहनी आसमान को तरफ हो एवं हाथ कान से लगे हों। फिर पैर एवं हाथ को बदलकर दूसरी तरफ भी करते हैं। रीढ़ की हड्डी का दबाव सीने की तरफ हो सामने देखते रहें एवं सांसे सामान्य रखें। एक तरफ 1 से 2 मिनट रोकते हैं। फिर दूसरी तरफ
भी यही समय देतें हैं। इसे 2 बार कर सकते हैं।

गोमुखासन के लाभ –

    • इस आसान के अभ्यास से फेफड़े मजबूत हो जाते हैं जिससे साँसो से सम्बन्धित समस्याएँ (एलर्जी,कफ)दूर हो जाती हैं।
    • अस्थमा (दमा ) जैसी समस्याओ को दूर करता हैं।किडनी को मजबूत बनाने में मदत करता हैं।
    • कन्धों को मजबूत बनाकर जाम होने से बचाता है।
    • रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाकर रीढ़ की हड्डी को सीधा रखती हैं।
    • गर्दन दर्द एवं सर्वाइकल दर्द से छुटकारा दिलाता है।
    • यह आसन नेतृत्व क्षमता (लीडर शिप ) बढाता है।
    • घुटनों की माँसपेशियों को लचीला बनाकर पैरों को मजबूत बनता है।
    • हृदय की माँसपेशियों को मजबूत बनाने में मदत करता है।
    • गोमुखासन का अभ्यास सीने को उभार प्रदान करता है।
    • पेन्क्रियाज में खिचाव देकर रक्त शर्करा को सामान्य करके मधुमेह (डायबिटीज ) जैसी विकराल समस्याओ को होने से बचाता हैं।

सावधानियॉं –

  • कंधे में जादा दर्द हो तो इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।
  • बवासीर के रोगियों को नहीं करना चाहिए।
  • घुटनों में जादा तकलीफ हो तो नहीं करना चाहिए।

2 COMMENTS

    • यही स्नेह तो और लिखने को प्रेरित करते है वर्ना इतना समय कहाँ ?आप को ह्रदय से आभार।

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