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Producing electricity using cow-dung

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It is a story of a student of law who took up dairy business instead of taking up legal practice. He also innovated, an idea of generating electricity, using cow-dung, which was disposed of treating as waste.

The innovator Sunil Gupta after completing LLB ( Bachelor of Law Course) in 2014 decided to set up his own dairy farm in his village Maholi in Bidhnu (UP), instead of becoming a practicing advocate. He obtained a loan of rupees 1.25 crores for purchasing the buffaloes under the Kamdhenu Scheme of the Government.

“I purchased one hundred buffaloes of good breed from Haryana and Punjab. Within a period of three years my turnover went up to rupees one crore per annum”, he said.

“However I remained worried about the disposal of the cow- dung. After deep deliberations, I decided to set up a Gobar Gas Plant (Plant for Gas from cow-dung) for generating electricity. After consulting the proposal with the engineers I got installed a 15 KV transformer for generating power from cow dung and started the power generating process.”

“The venture proved to be very successful. The generated power not only catered to the needs of the dairy but it was also used for street lights in the village”, he added.

“About twenty families of the village use the gas generated power to cook their food as uninterrupted power is available for 12 to 14 hours,” he claimed.

He said that the cost of the Gobal Gas plant was around rupees 16 lakhs.

“My next venture is to reuse the waste of the Gobar Gas Plant for producing bio fertilizer,” he said.

चुनाव प्रचार का साधन माचिस की डिब्बी!

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Pankaj Bajpai

शौक सभी करते है, मगर कुछ शौक किसी शख्सियत की पहचान भी बन जाते हैं।एक अनोखा शौक आलोक मेहरोत्रा ने भी किया और उस शौक ने आज उनको इस भीड़ से अलग खड़ा कर दिया है।

आलोक मेहरोत्रा ने माचिस की डिब्बियों का संग्रह किया है, इस संग्रह की विशेषता यह है कि जब देश आजाद हुआ तब सभी चुनावी दल अपने-अपने चुनाव चिंह माचिस की डिब्बियों पर छपा कर आम जनता में वितरण करते थे। प्रचार का प्रचार और माचिस का सद्पयोग।

इनके पास 1500 से अधिक राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह वाली करीब 1.5 लाख माचिस की डिब्बियां है।

वर्ष 1952 से लेकर 1957 तक कांग्रेस दो बैलों को जोड़ी वाले चुनाव चिंह पर चुनाव लड़ा करती थी। उस समय घर -घर चुनाव चिन्ह पहुचाने के लिए पार्टी की तरफ से दो बैलों की जोड़ी के चित्र वाली माचिस बनवाई गई और बाटी गयी। 1967 तक समता पार्टी मशाल चिंह पर चुनाव लड़ा करती थी।वो मशाल छपी माचिस लोगों में वितरण करती थीं।

अक्सर लोग माचिस इस्तमाल करने के बाद डिब्बी फेंक देते है । मगर इन्होंने उनका संकलन किया। आज इनके पास तरह -तरह के चित्रों, आकार ,प्रकार वाला डेढ़ लाख से अधिक माचिस की डिब्बियों का संग्रह है।दो इंच से लेकर ढेड़ फ़ीट लंबी ,पांच से लेकर 500 डॉलर कीमत वाली डिब्बी भी उनके संग्रह में हैं। चित्रों की बात करें तो देश के प्रमुख दार्शनिक स्थलों, देश -दुनियां के स्थानों, प्रसिद्ध व्यक्तियों देश-दुनिया के स्थानों, प्रसिद्ध व्यक्तियों, देश-विदेश में जारी तरह-तरह के प्रतीक चिंन्ह वाली माचिस हैं।

पिता की कपड़े की दुकान पर बाहर से आने वाले खरीदारों के द्वारा लायी गयी माचिस को खेलते-खेलते उसको अपना शौक बना लिए आलोक मेहरोत्रा अब अपने इस संग्रह को गिनीज़बूक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में भेजने की तैयारी कर रहे हैं।

बाजारवाद और बच्चे

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Dr. Kamal Musaddi

याद है ग्यारह वर्ष की उम्र में भी माँ कभी पांच या दस रुपये का नोट देकर बाजार से ब्रेड, अदरक,धनियां, मिर्च या कोई फुटकर सामान लाने को कहती थी,तो अपने हाथ से नोट हथेली पर रख कर मुट्ठी कस के बंद कर देती थी, और साथ ही कठोर शब्दों में निर्देश देती थी कि मुट्ठी ठीक से बंद रखना, नोट गिरा ना देना। हिसाब से पैसे वापस लेना गिन लेना वगैरह वगैरह। हम बच्चे भी उस दौर में इतने आज्ञाकारी होते थे,कि दौड़ते भागते अगर ठोकर खा कर गिर जाएं, हमारा घुटना, ठुड्डी फूट जाए मगर मजाल है जो मुट्ठी खुल जाए। क्यों कि मुट्ठी में उस दौर की बहुत बड़ी पूंजी होती थी, और बाजार भेजने की जिस योग्यता को समझ कर माँ हमें भेजती थी। उस विश्वास को भी तो कायम रखना था ।क्योंकि खरीददारी छोटी हो या बड़ी उसी से कराई जाती थी जो घर के बड़ो की दृष्टि में समझदार, गम्भीर और ईमानदार होता था।

समय बदला रुपये की कीमत गिरी,वस्तुएं महंगी तो हुई ही साथ ही वस्तुओं के विकल्प से बाजार सजते गए।उत्पादक आपसी प्रतिस्पर्धा में विज्ञापनों की होड़ में लग गए।अर्थशास्त्र के कीमत निर्धारण के तत्वों में वृद्धि औऱ सिद्धान्तों में अपवादकारी परिवर्तन होने लगे। बाजार के प्रकार बदल गए और समय, क्षेत्र प्रतियोगिता और वैधानिक बाजारों के साथ एक और बाजार पैदा हो गया और है ऑनलाइन बाजार।

आजकल बच्चा स्मार्ट फ़ोन के ऑपरेशन के आदी है। बड़ी बड़ी नेशनल और इंटरनेशनल कंपनियां अपने उत्त्पाद इस मीडिया के माध्यम से इंट्रोड्यूज करती हैं और कई बड़ी व्यापारिक एजेंसी इनका माल बेचती है। इन सामानों में रोजमर्रा की जरूरतों के अतिरिक्त आभूषण ,कपड़े व विलासता संबंधी सामान जैसे कार, मोबाइल,फैशन,सब कुछ बिकता है। जीवन का कोई क्षेत्र इन एजेंसी ने नही छोड़ा है। इतना ही नही हर उम्र का उपयोगी सामान इनके पास है।गर्भस्थ शिशु से लेकर तुरंत जन्मे शिशु के साथ-साथ खिलोने, कपडे, स्कूल के सामान ,सब कुछ है।बच्चे देखते है, आकर्षित होते हैं। कीमत जानते हैं और माता पिता से लेने की जिद करते हैं ।

अपने सीमित संसाधनों में माता पिता उनकी किसी मांग को पूरा कर देते हैं कि तुरंत किसी नए मॉडल या दोस्तों के बीच खुद को बराबरी का दिखाने या उनसे सुपर दिखने की होड़ में बच्चे फिर जिद पर अड़ जाते हैं। जिद न पूरी करने पर चिढ़चिड़े असंतुष्ठ और अतृप्त व्यवहार का प्रदर्शन करते है।

जो अमीर है साधन संपन्न है वो तो बच्चों की मांग को सरलता से पूरा कर देतें हैं।किंतु वेतनभोगी माध्यम वर्गीय माता -पिता निरंतर बच्चे की मन: स्थिति से जूझते रहते हैं। इतना ही नही छोटी मोटी चीजों की मांग तो माँ बाप किसी भी तरह पूरी कर देते हैं किंतु जब मंहंगे मोबाइल का ,कार का,बाइक का या फिर घर के ac,tv जैसे नए मॉडल पर बच्चे माता पिता को धिक्कारने लगते हैं,तब ये चिंता और समाज मे उत्पन्न हो रही विसंगतियों का विषय बन जाता है।कई बार बच्चों की मांग को पूरा करते -करते मां बाप अतिरिक्त श्रम करके अपना स्वस्थ खो देते है,या फिर पैसा कमाने के सरल और असंवैधानिक रास्ते अपना लेते है ।

सच कहते थे हमारे बुजुर्ग जिंदगी धीरे -धीरे विकास करे तो संतुलन बना रहता है,किन्तु बच्चे उम्र से पहले बड़े होकर इस विकास को असंतुलित कर देते हैं। इसलिए बाजार जिंदगी चलाने वाली एक संस्था है जिंदगी को बाजार में खड़ा करना जिंदगी से खेलना है।

A mid slowing global trade, country’s merchandise exports remained high

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Country’s exports performance is all the more remarkable as it was recorded when global growth is crumbling.

The major growth drivers were electronic goods, plastics, linoleum, petroleum, engineering goods, organic and inorganic chemicals, drugs, pharmaceuticals, cotton yarn, fabrics and handloom products. With Services sector exports also expected to cross USD 204 billion with a growth of 6.26 percent in FY 18-19, the overall exports crossed well over half a trillion dollar during the fiscal claimed the president of Federation of Indian Exporters Organization (FIEO).

FIEO President hailed the dedicated and hard work put in by the exporting community, which led to such an impressive growth despite major challenges including protectionism, tough global conditions and constraints on the domestic front.

The healthy growth in exports have come at a time even when the World Trade Organization has cut global trade forecast to 2.6% in 2019 from 3% in 2018 and global trade contracted in the first quarter of 2019, he said .

Merchandise exports for the month of March also touched an all time high of about USD 33 billion with a growth of 11.02 percent, the highest in any month so far. 20 out of 30 major product groups were in positive territory for the month, with most of them showing impressive growth during the month.

According to the FIEO Chief that while economies across Asia specially China and South East Asian nations have been showing signs of sluggishness with contraction in manufacturing due to slowdown in the global trade and fragile world economy, almost all value-added product segment of exports have shown impressive growth.

FIEO President reiterated his demand for urgent and immediate support including the issue of augmenting the flow of credit, higher tax deduction for research and development, outright exemption from GST, Online ITC refund, interest equalization support to agricultural exports, benefits on sales to foreign tourists and exemption from IGST under Advance Authorization Scheme with retrospective effect. Besides these, budgetary support for marketing and exports related infrastructure are some of the other key issues, which needs to be looked into immediately.

IIT Kanpur developed unique Life Saving Device

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G.P.VARMA

The scientists t the Smart Materials Structures and Systems (SMSS) Lab at IIT- K have developed an inexpensive and portable device for guiding the Endotracheal Tube inside the human trachea, a prerequisite for the safe administration of general anaesthesia in any emergency or Intensive Care Units.

This device developed by the SMSS Lab is particularly helpful as many a times, direct laryngoscopy cannot be performed on account of reduced mouth opening, trismus, trauma or growth in the upper airway. Fibre optic bronchoscopy is of great help in such a situation according to the release issued by the Institute.

The highly sophisticated life saving device was developed by Aman Garg under the supervision of Prof. Bishakh Bhattacharya of the Department of Mechanical Engineering, IIT-K and it was given a to the SGPGI Lucknow.

 The IIT-K has also filed a patent application for the newly developed device.

The innovative device uses non-dispersive infrared carbon dioxide sensing inside the intubation pathway for guiding the ET tube inside the trachea. The device attaches to the video bronchoscope as an auxiliary device and continuously monitors the end-tidal carbon dioxide concentration (ETCO2) in the exhaled breath of the patient by determining and comparing the variation in the ETCO2 concentration in the form of a gradient.

This gradient informs the user of the path of the ET tube being inserted inside the trachea through audio visual cues. Moreover, the data is wirelessly transmitted to a mobile app making it convenient for the doctor to analyse the graphical variation of the ETCO2 values, said the release issued by the Institute.

चौकीदार

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Dr. Suresh Awasthi
शिक्षक बनने की चाहतें
कोर्ट में फंस गयीं
क्लर्क बनने की कोशिशें
पेपर आउट होने के
दलदल में धंस गयीं
निजी संस्थान के
ठेकेदार ने तो बीमार ही कर दिया
मेहनताना बहुत कम दिया,
खून ज्यादा पिया
ओवरएज हो के
पकौड़े भी खूब तले
पेट भरने भर के पैसे
फिर भी नहीं मिले
रोजगार खोजते खोजते मैं
बासी अखबार हो गया
आभार लोकतंत्र के इस
महापर्व का
बिना कुछ किये धरे ही
चौकीदार हो गया।
दागी और बागी
…..
आप कौन श्रीमान!
जी, मैं दागी
और आप !
जी, मैं बागी
यानी कि हम दोनों खटरागी
चलो आगे आओ
हाथ मिलाओ
दोनों मिल कर
चुनाव में दबाव बनाएंगे
कोई ठीक से नमस्ते कर ले तो ठीक
नहीं तो अलग से बिगुल बजायेंगे
जिन्होंने मुंह से छीनी है दूध की कढ़ाही
उन्हें ऐसे कैसे छोड़ देंगे
कुछ नहीं कर पाए तो भी
कढ़ाही में नीबू निचोड़ देंगे।

वृक्षासन

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Dr.S.L.YADAV
बिधि,लाभ एवं सावधधानियाँ 
इस आसन का आकार वृक्ष के समान होने के कारण योगियों ने इसे वृक्षासन कहा है।
 
वृक्षासन की बिधि – 
सबसे पहले किसी हवादार एवं शांत वातावरण में समतल जमीन पर योग मैट बिछाकर उस पर खड़े हो जाते हैं।अब बायें पैर को घुटने से मोड़कर एड़ी को दाहिने पैर के जंघे(थाई) के सबसे ऊपरी भाग पर रखते हैं। तथा दोनों हाथों को सिर के ऊपर की तरफ ले जाकर हथेली को आपस में मिला लेते है। हाथों को दोनों कान से लगाकर रखते है एवं गर्दन सीधा
रखते हुए निगाहें सामने रखते हैं। एक पैर पर पूरा शरीर का वजन रोकते हुए साँस सामान्य यथासम्भव अथवा 1 से 2 मिनट रोक कर वापस आ जाते हैं। यही दूसरे पैर से भी करते है।
 
वृक्षासन के लाभ –
  • भगवान शिव को इस आसन में जादा देखा गया है यह ऊर्जा स्रोत का सबसे अच्छा आसन है।
  • इसके नियमित अभ्यास से पैर मजबूत होते है।
  • यह आसन एकाग्रता बढ़ाने का बहुत ही अच्छा आसन बताया गया है।
  • इसका नियमित अभ्यास शारीरिक संतुलन बढ़ाने में मदत करते हैं।
  • वृक्षासन शारीरिक ऊर्जा को क्षय होने से रोकते हैं।
  • सिर के ऊपर हाथ का पिरामिड़ बनने से मस्तिष्क ऊर्जावान हो जाता है।
  • यह पोजीशन वायुमंडल में सूक्ष्म रूप में उपस्थित ऊर्जा को ग्रहण करने में मदत करती हैं।
  • यह आसन वायु विकार को दूर करते हैं।
  • यह आसन रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाते है।
  • इस आसन के नियमित अभ्यास से मानसिक विकार(तनाव,डिप्रेशन,चिंता) दूर हो जाते हैं।
  • नस नाड़ियो को मजबूत बनाकर उसकी समस्या दूर करते है।
  • बच्चों को लम्बाई बढ़ाने में मदत करते हैं।
  • घुटनों को मजबूत बनाकर पैर दर्द की समस्या से निजात दिलाते है।

सावधानियाँ -घुटने में जादा दर्द होने पर एवं जिनको चक्कर (मिर्गी) आते हो उनको इसका अभ्यास 

नहीं करना चाहिए।  

चरणासन

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Dr. S. L. YADAV
बिधि,लाभ एवं सावधानियाँ – यह आसन पैरों के ऊपर लेटकर किया जाने के कारण इसे चरणासन के नाम से जाना जाता है। यह आसन मानसिक समस्याओं को दूर करता है तथा सुंदरता बढ़ाता है। इसे जिद्दी बच्चो के लिए बरदान बताया गया है।
चरणासन की बिधि –  सबसे पहले किसी हवादार एवं शांत वातावरण में समतल जमीन पर योग मैट बिछाकर उसपर
बज्रासन में बैठकर दोनों हाथों को आसमान की तरफ उठाकर कमर से आगे की तरफ तबतक झुकते है जबतक
कि सीना घुटने को न लग जाए। हाथ बिना जमीन को छुए सीधा एवं कान से लगा रहे। हिप्स ऐड़ी को छूती रहे।
नजरें सामने एवं साँस सामान्य रखते हुए यथासंभव या 2 मिनट रोककर वापस आ जाते हैं। दो बार कर सकते हैं
चरणासन के लाभ –
  • चरणासन में रक्त संचार चेहरे की तरफ बढ़ने से चेहरे में निखार आ जाता है।
  • कील ,मुँहासे ,झाइयाँ एवं आँखों के नीचे काले निशान की समस्या दूर होती है।
  • आँखों की कमजोरी दूर होकर चश्मा हटाने में मदत मिलती है।
  • याददास्त की समस्या,क्रोध,चिड़चिड़ापन एवं मानसिक समस्यायें दूर होती हैं।
  • जो बच्चे जिद्दी होते है उनके लिए विशेष लाभकारी आसन चरणासन है।
  • stress (तनाव ),depression (उदासी),anxiety(चिंता) जैसी गंभीर मानसिक रोग को दूर करता है। 
  • कमर को पतला एवं लचीला बनता है। 
  • घुटनों को मजबूत एवं जोड़ों को लचीला बनाता है। 
  • रक्त संचार सिर की तरफ जादा होनेसे बालों की समस्या (झड़ना,असमय सफेद होना,रूसी) को दूर करता है। 
  • पेट को कम करता है एवं बढ़ने से रोकता भी है। 
  • थाई की चर्वी को कम करके थाई को पतला करता है। 
  • गैस,कब्ज,जैसी पेट रोगों से बचाता है।
  • दिमागी काम करने वालो(स्टूडेंट्स,ऑफिस वर्कर्स)को इस आसन का अभ्यास जरूर करना चाहिए।  

सावधानियाँ –घुटनों में जादा दर्द,ह्रदय रोग ,उच्च-रक्तचाप, कमर दर में इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए। 

विशेष –आसनो का शत-प्रतिशत लाभ पाने के लिए आसन हमेशा खाली पेट,शांत मन एवं किसी योग विशेषज्ञ
 की देख रेख के ही करना चाहिए।

अनोखा हेलमेट

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Pankaj Bajpai

सड़क पर आये दिन हो रही दुर्घटनाओं में न जाने कितनी जाने जा रही हैं। जिनमें सबसे ज्यादा घटनाओं में चालक के हेलमेट नहीं पहनें होने के कारण सिर पर चोट आ जाने से जान जाती है।वाहन चालक का शराब सेवन भी दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण हैं।

देश के दो नन्हे वैज्ञानिकों ने इन समस्याओं को केंद्र में रख कर एक अद्दभुत खोज कर एक ऐसे हेलमेट का आविष्कार कर दिया जिसमें मार्ग दुर्घटनाओँ में होने वाली जन हानि में जरूर कमी आएगी।

दिल्ली पब्लिक स्कूल के 12वीं के दो नन्हे वैज्ञानिक ऋषभ विश्वकर्मा और रँकित सिंह ने एक ऐसा स्मार्ट हेलमेट बनाया है जिससे चालक के बिना हेलमेट पहने बाइक आगे ही नहीं बढ़ेगी। स्मार्ट हेलमेट में लगे सेंसर बाइक के की-इग्नीशन को सिग्नल देंगे जिसके इशारे पर गाड़ी आगे बढ़ेगी ।बाइक के मॉड्यूल को हेलमेट के मॉड्यूल से जोड़कर यह स्मार्ट हेलमेट बनाया गया।इस खोज को पूर्ण करने में 1 साल का समय लग गया।

इस सोध के अंतर्गत हेलमेट के अंदर ऐसे टैब व सेंसर लगाए हैं जो ट्रांसमीटर के जरिये इग्निसन को संदेश भेजने का काम करते हैं।बाइक को माइक्रो कंट्रोलर से जोड़ा गया है।जो चालक के हेलमेट लगाने पर काम करना शुरू कर देता है।

साथ ही शराब का सेवन कर बाइक चलाने वालों के लिए भी इसमें  अल्कोहल सेंसर लगाया है।जो 250 से 300 यूनिट अल्कोहल से ऊपर सेवन करने पर बाइक  को स्टार्ट होने से रोक देगा। इस खोज की एक खासियत जो दुर्घटना ने घायल को खासी मददगार साबित हो सकती है –इसमें एक एक्सीडेंट केअर मॉड्यूल भी लगाया गया है जो दुर्घटना के समय परिजन ,पुलिस व एम्बुलेंस को संदेश भेज देगा।जिससे घायल को समय पर सहायता मिल सकती है। इस मॉड्यूल में ऐक्सलरोमीटर सेंसर लगा है जो ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम फ़ॉर मोबाइल कॉम्युनिकेशन (जीपीएस) सिस्टम के तहत काम करता है।बाइक मॉड्यूल में मोबाइल नंबर फीड किये जाते हैं,जिन पर दुर्घटना होने की सूरत में संदेश जाता है।

छात्रों की इस खोज को आईआईटी टेककृति में टॉप थ्री में स्थान दिया है।अब अपनी इस खोज को आईआईटी से स्वीकृति लेकर इसका पेटेंट कराएंगे। छात्रों ने अपनी खोज में देश के सभी वर्ग को ध्यान में रख कर इस बात का विषेस ध्यान दिया है कि इसका मूल्य ज्यादा न होने पाए।अगर मूल्य ज्यादा होगा तो आम जनता इसको खरीदने से वंचित रह सकती है। फिलहाल इसका अनुमानित मूल्य 2500 रुपये के लगभग हो सकता है।

इस तरह की खोज सड़क सुरक्षा के लिए कितनी क्रांतिकारी हो सकती है। आज देश मे सबसे ज्यादा मृत्यु मार्ग दुर्घटना में होती है।

भौंकन- चौंकन

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Dr. Suresh Awasthi

एक बुजुर्ग
थोड़ा परेशान, थोड़ा गुस्साए
टीवी मरम्मत दुकान पर
घर का टीवी सेट उठा कर लाये
तकनीशियन से बोले

जैसे ही कोई न्यूज चैनल लगाता हूँ कुछ खास किस्म के कुत्ते
जोर जोर से भौंकने लगते हैं
उनकी भौंकन सुन कर
घर के बच्चे भी चौंकने लगते हैं
कुछ जाति, कुछ धर्म तो कुछ
राष्ट्रद्रोह की भाषा में

भौंक लगाते हैं
और कुछ सारी मर्यादा तोड़ कर
जोरदार छौंक लगाते हैं
वैसे तो ये टीवी नवाबी है
पर लगता है कि इसमें आ गई
कोई तकनीकी खराबी है
कृपा करके इसे सुधार दीजिए

इससे भौंकन को
बाहर निकाल दीजिए
यह सुन कर
तकनिशियन मुस्कराया
और फिर फरमाया
बाबा जी, टीवी
पूरी तरह से फिट और
पहले की तरह नवाबी है

इसमें तकनीकी नहीं,
दिमागी खराबी है
प्लीज किसी तरह का
टेंशन मत लीजिये
थोड़ा इंतज़ार कीजिये
चुनाव बाद इसकी हर खबर जैसे गीत, ग़ज़ल,
छंद हो जाएगी
और इसकी भौंकन
अपने आप बंद हो जाएगी।

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