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योग दिवस की झलकियाँ

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Dr. S.L. Yadav
अन्र्तष्ट्रीय योग दिवस आोजन के अवसर पर मुख्य कार्यक्रम आज ग्रीन पार्क स्टेडियम में आयोजित किया गया। योग कार्यक्रम में प्रदेश के औद्योगिक विकास,लद्यु एवं सूक्ष्म उद्याोग मंत्री,उ0प्र0 श्री सतीश महाना ने कार्यक्रम में प्रतिभाग करते हुये कहा कि योग प्राचीन युग से चला आ रहा है। अब वर्तमान समय मे योग का महत्व बहुत बढ़ गया हैै तथा निरोगी एवं स्वस्थ्य रहने के लिये योग आवश्यक हो गया है। उन्होंने कहा कि केन्द्र एवं प्रदेश सरकार योग की महत्ता को देखते हुये लोगों को योग करने के प्रति जागरूक कर रही है,जिससे कि वह स्वस्थ्य एवं निरोगी रहें। उन्होंने कहा कि स्वस्थ्य रहनेे के लिये हमें प्रतिदन योग करने को अपनाना होगा।

अन्र्तष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम में मण्डलायुक्त, श्री सुभाष चन्द शर्मा ने कहा कि योग करना अपने को स्वस्थ्य रखने के लिये आवश्यक है। योग शरीर को निरोगी रखने एवं तनाव को कम करके मुक्त करने में सहायक होता है। जिलाधिकारी श्री विजय विश्वास पन्त के कहा कि निरोगी रहने के लिये हमें योग को अपनी जीवन शैली में प्रतिदिन अपनाना चाहियें। अन्र्तष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम में योग गुरू द्वारा योग के विभिन्न आसानों पवनमुक्त आसन, वृज आसन, सलभ आसन सहित अन्य आसनों के द्वारा योग का अभ्यास कराया गया ।

अन्र्तष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम में महापौर श्रीमती प्रमिला पाण्डेय, मंडलायुक्त श्री सुभाष चन्द शर्मा, एडीजी श्री प्रेम प्रकाश, आई0जी0 श्री आलोक सिंह, जिलाधिकारी श्री विजय विश्वास पंत,नगर आयुक्त श्री सन्तोष शर्मा, अपर जिलाधिकारी, नगर श्री विवेक कुमार श्रीवास्तव,अपर जिलाधिकारी (भू0अ0)श्री केहरी सिंह सहित जनप्रतिनिधिगण, जनपद स्तरीय अधिकारीगण एवं हजारों की संख्या में गणमान्य नागरिकों ने प्रतिभाग किया।

भारत में योगाभ्यास की परंपरा तकरीबन 5000 साल पुरानी है। योग को शरीर और आत्मा के बीच सामंजस्य का अद्भुत विज्ञान माना जाता है।आज आईआईटी कानपुर के हवाई पट्टी पर 5 वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का शुभारंभ निदेशक डॉ अभय करंदीकर ने दीप प्रज्वलन के साथ किया । इसके बाद योग विशेषज्ञ डॉ.एस.एल यादव ने ईश वंदना के साथ योग का शुभारंभ किया तथा साथ में योगाचार्या डॉ.उर्मिला यादव और उनकी टीम ने भारत सरकार की आयुष मंत्रालय द्वारा निर्धारित प्रोटोकॉल के तहत योग का अभ्यास कराया । योग विशेषज्ञ डॉ.एल एल.यादव ने योग प्रेमियों को  बाद यौगिक सूक्ष्म क्रियाएँ,विभिन्न प्रकार के आसनो – ताड़ासन, बृक्षासन, पादहस्तासन ,अर्ध चक्रासन,त्रिकोणासन भद्रासन, वज्रासन, उष्ट्रासन भुजंगासन,पवनमुक्तासन,शवासन सहित लगभग २० आसन, कपालभांति ,अनुलोम विलोम,शीतली एवं भ्रामरी प्राणायाम के बाद ध्यान कराया गया, योगासनों,प्राणायामों, एवं यौगिक सूक्षम क्रियाओ से होने वाले प्रत्येक लाभ के बारे में बहुत ही बारीकी से जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया कि योग व्यक्ति को लम्बे समय तक युवा बनाए रखने में मद्त करता है। डॉ.यादव ने यह भी बताया की योग व्यक्ति को मानसिक तथा शारीरिक हर दृष्टि से लाभ प्रदान करता है। योग विशेषज्ञ डॉ.एस एल,यादव, एवं डॉ.उर्मिला यादव को निदेशक ने प्रतीक चिन्ह एवं  विधार्थी योग समन्वयक प्रियंका शर्मा, सर्वेश कुमार सोनकर को सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया गया, प्रो.ए के शर्मा ने धन्यबाद ज्ञापित किया.संस्थान योग कोऑर्डिनेटर डॉ पंकज बाही, उप निदेशक -प्रो.मणीन्द्र अग्रवाल, डॉ ए.के शर्मा,डॉ.प्रवाल सिन्हा, डॉ. कुमार रवि प्रिया, प्रो. जे.रामकुमार, प्रो. ए.आर हरीश, प्रो अर्नव भट्याचार्या, प्रो.के.वी श्रीवास्तव , ए.आर.विनोद मलिक, डॉ.वी.पी सिंह, डॉ.सी.पी सिंह, डॉ राकेश मिश्रा, डॉ एस के मिश्रा, डॉ आर के सचान,एन के सिंह आदि गणमान्य सहित लगभग 400 व्यक्ति उपस्थित रहे ।

ओम टॉपरॉय नमः

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दिलीप सिंह
विशेष रिपोर्ट पाने के लिए एक tv चैनल का रिपोर्टर एक टॉपर छात्र के पास पंहुचा। छात्र ने कैमरे के सामने बोलने से मना कर दिया । रिपोर्टर ने तब लिखित सवाल जवाब किये ।
रिपोर्टर -“टॉपर बन कर आपको कैसा महसूस हो रहा है ।”
विद्यार्थी -“जी बहुत अच्छा महसूस हो रहा है और थोड़ी पीड़ा भी हो रही है ,अच्छा ये लग रहा है कि हमने टॉप किया है ,और बुरा ये लग रहा है कि मम्मी हमारी सुरक्षा की प्रार्थना करने रोज मन्दिर जाने लगी हैं, वैसे पहले वो सिर्फ सेल्फी लेने के लिए ही पूजा स्थलों पर जाती थीं और पापा एक वकील से मिलने गए हैं कि जेल जाने की नौबत आयी तो खर्चा कितना लगेगा”।
रिपोर्टर-“लेकिन आपको क्या भय, टॉप करना तो गर्व की बात होती है, आप जेल क्यों जाएंगे” ।
विद्यार्थी -“वो सब हमको पता नहीं जैसे ही हमने टॉप किया वैसे ही हमारे कॉलेज के प्रिंसिपल साहब को फोन आ गया कि अगर किसी रिपोर्टर को इंटरव्यू दिया तो जेल जाने की नौबत आ सकती है ,पिछले कई टॉपर इंटरव्यू देने की वजह से जेल चले गए “।
रिपोर्टर-“आप किस कॉलेज में पढ़ते हैं, और आपने परीक्षा किस कॉलेज में दी ।”
विद्यार्थी ‘- जी हम किस कॉलेज में पढ़ते हैं वहां सिर्फ पढ़ने के लिए पढ़ते हैं “।
रिपोर्टर -” मतलब,कॉलेज पढ़ने के लिए ही होता है फिर सिर्फ पढ़ने के लिये पढ़ने से क्या मतलब है” ।
विद्यार्थी -” जी मेरा मतलब है कि हम फॉर्म गांव के कॉलेज से भरे थे और असली विद्यार्थी तो उसी कॉलेज के हैं लेकिन वहां हम पढ़ने नहीं जाते थे क्योंकि वहां ना कोई पढ़ने जाता था और ना कोई पढ़ाने आता था तो हमारे उस कॉलेज के प्रबंधक और प्रिसिपल ने हमसे कहा -कि रोज रोज कॉलेज आकर क्यों अपना संसाधन और ऊर्जा बर्बाद करते हो ,तुम्हारी वजह से हमको भी पढ़ने -पढ़ाने का इंतजाम करना पड़ता है ,ये दूरदराज का कॉलेज सिर्फ फॉर्म भरवाने और परीक्षा दिलवाने के लिये मशहूर है ।जो साल में प्रवेश और परीक्षा के महीनों में ही सक्रिय रहता है ।इसलिये अगर रोज रोज पढ़ना है तो कहीं और भी नाम लिखवा लो, पढ़ना उस कॉलेज में ,परीक्षा इस कॉलेज के नाम से दे देना।सो हमने ऐसा ही किया ,साल भर शहर के कॉलेज में पढ़ाई की और परीक्षा गांव के कॉलेज से दे दी “।
रिपोर्टर-“आपको इसमें कुछ अजीब नहीं लगा कि पढाई एक जगह से परीक्षा दूसरी जगह से “।
विद्यार्थी -“जी हमको बहुत अजीब लगा और हम तो समझ ही नहीं पा रहे हैं कि लोगों को क्या बताएं कि कहां के
विद्यार्थी हैं ,शहर के या गांव के ,पढ़े कहाँ, परीक्षा कहां दें ।लेकिन हमारी मम्मी ने हमको समझाया कि आजकल बड़े -बड़े लोग भी ऐसा करते हैं जैसे कि एक नेता जी का राजनीतिक कॉलेज उत्तर भारत में था, परीक्षा देने वे साउथ चले गए ,मेरी मम्मी ने कहा कि इतने बड़े नेता होने के बावजूद ज़रूर उन्होंने अपनी मम्मी की बात मानकर ऐसा किया होगा तो मुझे भी अपनी मम्मी की बात मान लेनी चाहिए ।सो मैंने भी अपनी मम्मी की बात मान ली।”
रिपोर्टर-“वो तो ठीक है लेकिन क्रेडिट तो कोई एक कॉलेज ही लेगा।किसी एक को ही तो आप मानेंगे।”
विद्यार्थी “-जी ,किसी एक पर तो ही लफड़ा फंसा हुआ है ,पापा कह रहे हैं कि वकील साहब और कुछ  लोगों से पूछकर ही दो में से किसी एक कॉलेज का नाम मुझे लेना है ताकि जांच पड़ताल में उस कॉलेज की कोई बात फ़र्ज़ी निकली तो मुझे जेल जाना पड़ सकता है ।उधर मम्मी दोनों कॉलेज के प्रिंसिपल से भी बात कर रही हैं कि जो पूरे साल की मेरी पढाई लिखाई में जो खर्चा लगा जो  भी कॉलेज दे देगा उसी का मुझे नाम लेना है ।मम्मी-पापा में इसी बात को लेकर रार चल रही है ,देखिये क्या नतीजा निकलता है “।
रिपोर्टर -“आपने किस कोचिंग/अध्यापक से पढ़ाई की इसमें तो कोई सीक्रेट नहीं है ये तो आप बता ही सकते हैं।”
विद्यार्थी -“जी मैं इस सवाल का जवाब नहीं दे सकता ,मेरी मम्मी ने कहा है कि मेरे विवाह के दहेज की रकम से भी बड़ी ये बिग डील होगी ये सवाल कि मैंने किस कोचिंग /अध्यापक से पढ़ाई की ।सभी कोचिंग वाले अपना ब्रोशर और रेट लिस्ट दे गए हैं कि किसका नाम लेने पर कितने पैसे मिलेंगे ।मम्मी इन सारे ऑफर्स का तुलनात्मक अध्ययन कर रही हैं ,वो मोल भाव करके बतायेंगी कि मुझे किस कोचिंग/अध्यापक का नाम लेना है तभी मैं बोलूंगा वैसे मोटे तौर पर मैं आपको बता दूं कि मैने किसी कोचिंग या अध्यापक से लगातार  प्राइवेट ट्यूशन नहीं लिया है” ।
रिपोर्टर -“और कुछ आफर मिले हैं आपको “।
विद्यार्थी -“जी बहुत किस्म के आफर मिल रहे हैं जैसे कि रामऔतार दूधवाले ने हमारे घर पर आज से ही दूध का भाव दस रुपये कम कर दिया है और हर महीने एक किलो शुद्ध देशी घी देने की पेशकश की है बशर्ते वो अपने तबेले के सामने मेरी फ़ोटो टाँग कर ये प्रचार कर सकें कि उनकी भैंस का दूध पीकर मैं टॉपर बना हूँ, जबकि हाल ही में वो मिलावटी दूध के केस मेँ जमानत पर बाहर आये हैं ,लाला छन्नूमल पंसारी ने इस बात का आफर दिया है कि वो हर महीने हमें एक किलो बादाम फ्री में देंगे अगर मैं सबके सामने ये कह दूं कि मेरे टॉपर बनने में उनकी दुकान के बादाम का बड़ा योगदान है ये और बात है कि परसों ही अफवाह उड़ाकर नमक को सौ रुपये किलो बेचने के आरोप में कोतवाली पहुंच गए थे ।मम्मी ने इन सबके ऑफर्स  को नोट कर लिया है ,अब वही डिसिजन लेंगी।”
रिपोर्टर-इसके अलावा भी कोई आफर है।
विद्यार्थी-“जी कई हैं जैसे कि मोहल्ले की अगरबत्ती बनाने वाली आंटी जो धोनी की फ़ोटो लगाकर अगरबत्ती बेचती थीं मम्मी से सुबह आकर ही कह गई हैं कि अब वो सालोंसाल हमें अगरबत्ती मुफ्त देंगी ,बस हमें ये कहना होगा कि उनकी ब्रांड की अगरबत्ती से पूजा पाठ करने से प्रार्थना ईश्वर ने स्वीकार कर ली और मैं टॉपर बना,जिस टेम्पों से मैं कॉलेज जाता था वो अंकल भी मम्मी से बात कर रहे हैं कि अब वो मुझे हर जगह टेम्पो में मुफ्त ले जाएंगे और मेरी फ़ोटो स्लोगन के साथ अपने टेम्पो पर लिखेंगे कि टेम्पो हमारा शुभ है ऐसा, जिसे टॉपर भी  करें पसन्द
इससे कोचिंग जाओगे तो तेज रहोगे,वरना हो जाओगे मन्द “।
रिपोर्टर -“और कोई विशेष आफर
विद्यार्थी-जिस साईकल से मैं ट्यूशन जाता था वो अंकल भी आये थे ,कह रहे थे कि साइकिल की दुकान पर मेरा फ़ोटो लगाना चाहते हैं कि “टॉपर्स की सवारी ,साइकिल है या फेरारी “मम्मी ने उनसे एक फिटनेस वाली साइकिल मांगी है ।देखिये सौदा कितने में पटता है।”
रिपोर्टर-“आप की इस कामयाबी में आपके माता पिता का कितना सहयोग ,आशीर्वाद है ,विस्तार से बताएं।”
विद्यार्थी-“जी पिता जी का तो कोई खास योगदान नहीं था ,दो -चार महीने पर झपड़िया देते थे पढ़ने के नाम पर बस “।
रिपोर्टर-“तो मम्मी की त्याग -तपस्या का फल है आपका टॉप करना “।
विद्यार्थी-“जी मम्मी ने तो ऐसा ही बोला था कहने के लिए लेकिन मैं आपको बता दूं कि मम्मी दिन भर फेसबुक ,व्हाट्सएप्प और इंस्टाग्राम पर ही जुटी रहती थीं ,दिन रात मोबाइल चलाती थीं वही उनकी दुनिया थी एक बार तो मम्मी ने डिप्रेसन में अपनी जीवन को कूड़ा बताकर रोने लगी थीं क्योंकि उनकी पोस्ट पर लाइक कमेंट बहुत कम आये थे तब उन्हें दिल्ली वाली आंटी ने समझाया इस उम्र में ऐसे नेगेटिव झटकों को सहने के लिये तैयार रहना चाहिए,तब वो नार्मल हुईं वैसे एक बात और थी कि मम्मी दिन भर फ़ोन में उलझी रहीं तो हमें पढ़ने -लिखने का अवसर मिल गया वरना वो दिन भर हमसे ही उलझती रहती थीं ,हमेशा चिक -चिक ,कलह,कलपना, और पापा को कोसती ही रहती थीं”।
रिपोर्टर-“कहाँ हैं आपकी मम्मी,और मुझसे भी तो वो इस सवाल जवाब के पैसे तो नहीं मांगेंगी ?”
विद्यार्थी -“जी वो उन कोचिंग वालों से पैसे वसूलने गई हैं जिन्होंने दो तीन दिन से अखबार में मेरी फ़ोटो अपनी कोचिंग के नाम के साथ बिना मम्मी से पूछे और लिए-दिए लगा ली है ,और रहा सवाल आपसे पैसा लेने का तो अब आप निकल लो ,वरना आपकी शामत आ जायेगी वो आ ही रही होंगी, क्योंकि आपने अभी हमें फूटी कौड़ी तक नहीं दी है।”
रिपोर्टर अपना सामान समेटते हुये पूछ बैठा “बाई द वे क्या करती हैं आपकी मम्मी “
विद्यार्थी -“जी वो फेसबुक पर एक लघुकथा ग्रुप  की एडमिन-इन-चीफ हैं”।
ये सुनते ही रिपोर्टर वहां से सर पर पैर रखकर भागा ,आपसे वो रिपोर्टर मिला क्या?

नत्थू-एक प्रेरक पिता

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Pankaj Bajapi
नत्थू का संघर्ष चंद दिनों का नहीं बल्कि 40 वर्षों का है । महोबा, उत्तर प्रदेश ग्राम पसवारा निवासी नत्थू के पिता धर्मदास रैकवार स्वास्थ्य विभाग में चौकीदार थे । इसीलिए नत्थू भी हमीरपुर में ही बस गए। पढ़ -लिख नहीं पाए तो घर की आर्थिक तंगी से निपटने के लिए 15-16 साल की उम्र में 90 रुपये महीने की पगार पर एक पंचर की दुकान में काम करने लगे । दो साल बाद उन्होंने कानपुर -सागर हाइवे किनारे टिन टप्पर लगाकर पंचर जोड़ने की दुकान खोली । पहला पंचर बनाने पर तीन रुपये मिले थे । तभी से सोच लिया था कि बच्चों को पढ़ा-लिखाकर उंन्हे बेहतर ज़िंदगी दूंगा । उनकी यह मेहनत रंग लायी।

उनके तीनों बच्चे आज सुखद  जीवन की राह पर चल पड़े हैं ।उनके तीनों बच्चे काबिल बन गए । एक देश सेवा में लगा है । दो बेटियों में एक देश के भविष्य को पढ़ा रही है तो दूसरी जनता की सुरक्षा में लगी है। कहते हैं,कोई भी काम का प्रतिफल क्या होगा, यह व्यक्ति की मेहनत और नियत पर निर्भर करता है । चाहे वह पंचर की दुकान ही क्यों न हो ।
हमीरपुर उत्तर प्रदेश निवासी नत्थू इसी का उदाहरण हैं । उन्होंने अपनी सोच, नेक नीयत और मेहनत के बल पर पंचर की दुकान से अपने बच्चों को काबिल बना दिया । नत्थू की मेहनत का फल मिला ।बड़ा बेटा मिथुन कुमार एयरफोर्स में तैनात है।कम आय के बाद भी नत्थू ने बेटे-बेटी में कोई फर्क नहीं किया । एक बेटी कोमल बलरामपुर जिले में शिक्षिका तो दूसरी बेटी स्वाति चित्रकूट में उत्तर प्रदेश पुलिस में तैनात है ।
तीनों बच्चों की नौकरी लग जाने के बाद आज भी नत्थू टीन-टप्पर वाली अपनी वही पंचर की दुकान चलाते हैं ।बच्चे मना करते हैं लेकिन उन्होंने अपना काम जारी रखा ।कहते हैं, जिस काम ने मुकाम दिया, उसे कैसे छोड़ दें । इसी दुकान के बूते तो बच्चों का भविष्य बना पाया हु। जब तक शरीर में ताकत है ,अपने और पत्नी लक्ष्मी के भरण- पोषण का खर्च इसी दुकान से उठाएंगे ।
बेटी स्वाति कहती है कि पिता जी अब आप आराम करें,लेकिन वह नहीं मानते हैं।मेरे पिता सभी के लिए मिशाल हैं।वह मेरे आदर्श हैं।

गाली…..

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Dr. Kamal Musaddi
कहीं आंकड़े पढ़े थे, कि हमारे देश में जितनी गालियां चलन में हैं, उनमें अस्सी प्रतिशत गालियां औरतों को लेकर दी जाती हैं। औरत के रिश्ते, औरत के स्वभाव, औरत के चाल चलन, औरत की देह ,औरत के अंग प्रत्यंग आदि को लेकर ही गालियां दी जाती हैं। दुनियां में जो सबसे गंदी, असरदार और महाक्रोध के समय या फिर किसी व्यक्ति को पतन से गर्व तक पंहुचा देने के लिए जो गाली दी जाती है । वह उसे नहीं उसकी मां को दी जाती है । बाकी कुछ बची हुई गालियां या तो जानवरों पर होती हैं या दलितों, कुचलों, कमजोरों, असहायों को लेकर दी जाती हैं ।

अब जब गालियां औरत को लेकर दी जाती हैं । माँ, बहन, बेटी को दी जाती हैं तो फिर किसी औरत के गाली देने पर इतना कोहराम क्यों ?
मैं ये नहीं कह रही कि पुरुष प्रतिस्पर्धा में स्त्रियां अपनी वाणी की कोमलता, सुन्दरता या मर्यादा छोड़ दे ।मगर ये भी कहूंगी की पुरुष अपनी जुबान से औरत को जलील करते हैं तो फिर कोई नाराज, आक्रोशित शोषित, पीड़ित या बदजुबान औरत अगर यही गालियां देने लगती है तो उसका सामाजिक बहिष्कार या उस पर हजार लांछन क्यों ?
मैं बॉलीवुड की एक नायिका का विडियो देख रही थी,जिसकी जुबान से वो सारे शब्द धारा प्रवाह निकल रहे थे जिन्हें पुरुष वर्ग प्रेम में ,क्रोध में,मजाक में या नसे में अक्कसर देने की आदत पाले रहते हैं । अगर उसके मुंह से गालियां निकलने पर लोग उसे असभ्य और असम्मान, गिरी हुई,नीच, चरित्रहीन जैसे संबोधन की टिप्पणी दे रहे थे। यद्यपि उसकी बदजुबानी मुझे भी खराब लग रही थी, मगर मुझे नजे ही उसपर क्रोध आ रहा था, न वितृष्णा हो रही थी। मुझे उस पर तरस आ रहा था और मैं सोच रही थी कि इस स्त्री ने आप के आस पास के रिश्तों से कितना शोषण, कितना अपमान ,कितनी कुंठा सही होगी कि अपने सही साबित करने के लिए वो इस भाषा का सहारा ले रही थी।
बरहाल इतना जरूर कहूंगी की समाज मे बच्चे हो या स्त्रियों को कैसी भाषा बोल रहे हैं,इसकी बहुत बड़ी जिम्मेदारी उन पुरुषों की है जो बिना ये देखे की उनकी अभद्र शब्द किसी भी को अपमानित करके आक्रोशित कर रहे हैं । गाली देते रहते है।
हाँ जिस तरह प्रेम, प्रसंशा, आशीष जीवन को प्रभावित करते हैं, गालियां भी जीवन को प्रभावित करती हैं। अब ये हमें आपको देखना है कि कहीं गाली देकर, गाली सुनकर  हम जिंदगी को तो गली नहीं बना ले रहे हैं।

Residents of slum areas take initiative for potable water supply

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People of a slum area of Kanpur have set an example in ensuring regular potable water supply in the locality without taking any assistance from the government.

The Jal Sansthan, an authority for ensuring potable water to citizens, had installed a hand pump in the locality some seven years ago in 2012 but it went out of order after one year. The complaint about the faulty hand pump was made to the municipal authorities on several times but the authorities did not pay any heed said the local residents including  PM Goswami, Cheddi Lal, Puttan and Mukesh of the Goswami Basti near Jhakarkati Bus Stand in the city.

Later, the residents decided that instead of complaining to municipal authorities or to the government, and seek their assistance they should manage the hand pump with their own resources, Chedi lal a resident of the Basti (locality) said.

 He discussed the issue with all the other seventy residents of the Basti. They all approved the idea. They also agreed to develop “Water Bank”. They started collecting a monthly contribution of rupees thirty from each family to ensure regular maintenance of the hand pump, said Chedi Lal.

The hand-pump was installed and it is maintained with the collected funds. The residents also made arrangements for proper drainage of the waste- water.  Now the people of the locality are happy. There is no problem of potable water. Every resident gets adequate water supply and the complete information about the collected amount and the maintenance expenses every month he added.

The example set by the Goswami Basti inspired people of other localities. People of about six other Basties (Localitites) including Ujiaripurva, Kakori Chavani, Narianpurva Basti, Ram Charan Ki Madayia, Naveen Ghat and Narain Ghat followed the self- managed water supply system.

 People in these localities have opened bank account and have constituted societies for the maintenance work.

UP heading towards early heat-wave (Loo) sessions

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People of Uttar Pradesh (UP) may face heat wave (Loo) before the start of summer. Normally the heat wave hits the state during May and June, but now it could hit the state from February in next two decades.

Reason: The atmospheric temperature in Uttar Pradesh (UP) has been on constant rise. During the past thirty- five years it has gone up by one degree Celsius which was alarming. The rise in temperature was responsible for early heat during April.

A study conducted by a professor of the Indian Institute of Technology  (IIT-K), now posted at the civil engineering department at the Indian Institute of Technology (IIT) Gandhinagar  Dr Vimal Misra revealed if the temperature continued to rise the state would get warmer even in February by 2040.

Professor  Misra conducted a comparative study of temperature for the past thirty five years from 1980 to 2015 during the three months including February, March and April.

The study was conducted in nine districts of the state including Kanpur, Lucknow, Ghaziabad, Agra ,Meerut, Allahabad, Aligarh, Muradabad, Bareli and Varanasi and found that temperature continued to rise in all these districts during February, March and April.

Professor Misra observed that the rise in temperature by one degree Celsius during the past thirty -five years could lead to rise by 2 to 3 degree Celsius by the year 2040 causing unbearable heat.

 Besides, the number of summer days would also rise as the heat of the sun would be felt from February onward as against May, Professor Misra claimed.

बूढ़ा बचपन

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Dr. Kamal Musaddi
बचपन  से रामचरितमानस के महानायक भगवान राम के चरित्र का गुड़गान सुनती आयी हुँ । सुनती ही नही आई वरन उनके ईश्वरी स्वरूप का उनसे जुड़ी बातों पर असर भी सुनती आयी हु। विद्वान कहते हैं कि हमारे किसी भी धर्म ग्रंथ में अथवा ईस्ट अवतार की आराधना पूजा ,विस्वास अथवा श्रद्धा भी रखते है।क्योंकि इन ग्रंथों में मानव जीवन की जटिलताओं और समस्याओं का समाधान लिखित रहता है।ये ग्रंथ वेद ,पुराण, श्रीमदभागवत ,रामायण ,कुरान,या बाइबल या ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब हो। ये समस्त ग्रंथ मानव जीवन को सुंदर और कल्याण कारी बनाने के संदेश हैं। इन्ही ग्रंथों के पात्रों के जीवन चरित्र का अनुकरण है हमारी जिंदगी। इसलिए मेरा ध्यान विस्वास राम चरितमानस के उन पन्नो पर जाता है जहाँ भगवान राम के जन्म का प्रकरण है और जन्म के बाद जब जन्मदात्री जननी को भगवान ने अपने विराट रूप के दर्शन कराए तो माँ कौसल्या फूट-फूट कर रो उठी। उन्होंने उनसे प्रार्थना की कि मुझे तुम्हारा ये स्वरूप स्वीकार नही मुझे तो अपना शिशु चाहिए।

ये मातृत्व में वात्सल्य का प्रकरण माँ और बच्चे के क्रमिक विकास व्यवहारिक मृदुलता और प्रकृति के अनुकूल है,किंतु उम्र से पहले बड़े से हो गए बच्चे की जीवन गति असंतुलित हो जाती है। प्रकृति भी चाहती है कि देह और मन का तारतम्य जुड़ा रहे ,लेकिन आधुनिक समाज न जाने क्यों इस तारतम्य को तोड़ने में लगा है।
आज छोटे से छोटे बच्चों को घर हो या विद्यालय सभी जगह इतनी तीव्रता से बड़ा करने के प्रयास चल रहे है की बचपन जैसे बड़ों के सपनो में खो गया है। बड़ी – बड़ी बातें , बड़े – बड़े जटिल काम करवा कर लोग उनकी प्रशंशा ही नहीं करते बल्कि स्वाभाविक रूप से बढ़ाने वाले बच्चों में हीनता भी भर देते हैं।कुछ बच्चे विशेष उपलब्धि पाकर, विशेष सहयोग पाकर जल्दी बड़े हो जाते है। तो कुछ न पाने के दर्द में बड़प्पन और गंभीरता तनाव और कुंठा ओढ़ लेते हैं। और ऐसे वातावरण में बच्चों की किलकारी सहज हँसी और सामान्य चपलता जिसे हम बचपना कहते हैं खोता जा रहा है। निदा फाजली का एक शेर मेरे दिल के बहुत करीब है।
 “पीठ पर बोझ पा गए बच्चे, पालने में बूढ़ा गए बच्चे”
इसलिए  हम सब का यह कर्तव्य बन जाता है कि बचपन को बूढ़ा होने से बचाएं। हो सकता है कि ये बूढ़ा बचपन हमारी कई जिम्मेदारियों को अपने कंधों पर ढोने लायक बन जाये ।मगर सृष्टि और सृजन की सुंदरता नष्ट होती चली जायेगी। और फिर जिन बच्चों में हम साक्षात ईस्वर की स्वरूप की मान्यता को मानते थे।वह ईस्वर हमसे दूर होता चला जायेगा। इसलिए बचानी है हमें किलकारियां ,चपलता चंचलता ,किल्लोर और मासूमियत । तभी हम जी पाएंगे एक सामान्य जिंदगी।

छोटे पक्षियों की होगी नई सदी

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Pankaj Bajpai
आने वाली पीढियां बड़े पंक्षी और जानवरों को सिर्फ तस्वीरों में ही देख पाएंगी । ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने अध्ययन में पाया कि अगली सदी में छोटे पक्षी और स्तनधारी जीव ही अस्तित्व को लुप्त होने से बचाने में कामयाब हो सकेंगे।ब्रिटेन में यूनिवर्सिटी ऑफ सोउथैंपटन के अनुसंधानकर्ताओं ने अगली सदी में छोटे पक्षियों और स्तनधारियों के भविष्य का आकलन किया ।

वस्तुतः पक्षियों और स्तनधारियों के लिए सबसे बड़ा खतरा मानव जाति बनी हुई है । इंसानी हस्तक्षेप के प्रभाव ,जैसे – वन की कटाई,शिकार,गहन खेती,शहरीकरण,और ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों से इनके प्राकृतिक निवास स्थान खत्म हो गए हैं ।
ब्रिटेन के वैयानिको के दुनिया भर के छोटे पक्षियों और स्तनधारियों के भविष्य का आकलन किया। उनके अनुसार बड़े आकार और हर वातावरण में अनुकूल न हो पाने वाले जीव सौ साल बाद नहीं बचेंगे।
छोटे, फुर्तीले और अधिक प्रजनन क्षमता वाले ऐसे जीव लुप्त होने से बचे रहेंगे ,जो छोटे कीट खाते है । ऐसे जीवों का प्रभुत्व होगा जो अलग – अलग वातावरण में खुद को ढाल सकते हैं।
कुतरकुतर के खाने वाले जीव जैसे छोटी गौरैया व ऐसी अन्य चिड़िया बची रहेंगी । चूहे सरीखे दिखने वाले ड्वार्फ गर्विल जैसे जीव खुद को बचा पाने में कामयाब होंगे।
एक लाख ,तीस हजार साल पहले हुए एक बड़े बदलाव ने स्तनधारियों के सामूहिक औसत द्रव्यमान में चौदह प्रतिसत की कमी आयी थी।वैज्ञानिकों के अनुसार स्तनधारियों के लिए अगली सदी काफी चुनौतियां लाने वाली भी हो सकती हैं।
सोध कहता है कि गिद्ध और काले गेंडे जैसे जीव लुप्त हो जाएंगे,जिन्हें जीने के लिए विशेष वातावरण चाहिए। ऐसे सभी जीव जो खुद को नए वातावरण के लिए जल्दी अनुकूलित नही कर पाते ,अपनी जान गवां देंगे।
शोध कहता है कि अगली सदी तक स्तनधारियों की औसत शारीरिक द्रव्यमान में सामूहिक रूप से 25 प्रतिशत की कमी आएगी।

Household fuel takes 2.7 lakh lives a year

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A study conducted by the scientists of the Indian Institute of Technology (IIT-Delhi) revealed that over  2.7 lakhs died every year due to air pollution caused by the emission from household fuel.

The report published in a the journal proceedings of National Academy of Sciences said that the country could make a dent in air pollution and could save 2.7 lakh lives per year just by curbing emission from household fuels like fire wood, dung coal and kerosene which are widely used  for cooking.

The report said that there would be no need of making any changes to industrial and vehicle emission to bring the average outdoor air pollution levels below the country’s air quality standard if the household fuel emission was checked.

One of the researchers Sagnik Day from IIT-Delhi claimed that eliminating  household fuels could  reduce air pollution related deaths in the country by thirteen percent, which is equivalent to 270,000 lives a year.

According to professor Kirk R Smith of  University of California University household fuels were the single biggest source of outdoor air pollution in India.

Urban Update a prestigious journal observes that “the bulk of air pollution originates from burning biomass, such as wood, cow dung or crop residues to cook and heat the home and from burning kerosene for lighting  especially in may rural areas of the world where electricity and gas lines are scarce.

“Electrification and distribution of clean-burning propane to rural areas would help in complete mitigation of biomass as fuel and would cut India’s average annual air pollution to 38 micrograms per cubic meter, just below the country’s National Ambient Air Quality standard of 40 micrograms per cubic meter.”

India to launch Chandrayaan-2 on July 15

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The Indian Space Research Organization (ISRO) would launch its second mission to the moon- Chandrayaan-2 on July 15. The mission expected to reach the moon by September 6-7, 2019.

The Chandrayan-2 would have” motion planning and generation software” for Rover named as “Pragyan”, was developed by the scientists of the Indian institute of Technology (IIT-Kanpur)

The software would help the   rover “Pragyan” in its movement and would guide its route on the Lunar surface to save energy and time in reaching to the targeted area.

Professor Ashish Datta of Mechanical Engineering Department and Professor KS Venketsh of Electrical Engineering Department have developed the software on Algorithm method within a period of one year. This has enabled the Country to be one among those countries, which have the technology of making Lunar Rover Software.

The rover “Pragyan” fitted with the software developed by the IIT-K would trace the water and other mineral wealth in the lunar surface. The rover would also send the relevant picture to the laboratory for research and examination.

The software would be operated with a twenty watts solar battery and would assist “Pragyan” in drilling the lunar surface to trace water and other chemicals inside it.

According to the ISRO Chairman K Sivan this would be the first operation near the South Pole of the moon and would make India Just the fourth country to complete a soft landing on the lunar surface.

Chandrayaan-2 will land near moon’s south pole. It will take 15 minutes to land and will be the most terrifying moment as ISRO has never undertaken such a flight,” Sivan told media.

The mission would be the most complex operation ever to be undertaken by the space agency, he said.

“It will utilise the GSVL Mk-III (Geo-synchronous Satellite Launch Vehicle Mark-III) launch vehicle which the most powerful launcher we have used till date,” the Chairman said.

With a total mission mass of 3.8 tonne, the entire project is said to be cost rupees 978 crores. This includes rupees 603 crores the cost of the spacecraft and rupees 375 crores for the GSVL Mk –III. Chandrayan-2 consists of  an orbiter, a lander (Vikram) and  rover (Pragyan)

The mission will send the rover to the moon’s south pole and Indian Scientists hope to directly observe the water, ice on the lunar surface. The evidence for which  was gathered by spectrometers  aboard India’s first moon mission in 2008.The Rover will also send back data which will be useful for analysis of the lunar soil, he added.

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