”पुराने कैलेंडर से नये पर
उतारा दूध का हिसाब।
अलमारी में रख दी
बीत चुके साल के
त्योहारों की किताब।
पहले व्यापारिक मित्रों को
शुभ कामना संदेश भेजा।
फिर पहचान वालों को सहेजा।
जोड़ी-घटाई दुनियादारी।
बस हो गयी नये साल के
स्वागत की तैयारी।”
आम आदमी से पूछा, नये साल का स्वागत कैसे करेंगे ? वह बोला, फेफड़ों में थोड़ा दम और भरेंगे। मंहगाई बढ़ी तो थोड़ा कम खाएंगे, या फिर बिना छुट्टी लिए हर रोज कमाएंगे। यहां हर रोज कमाने खाने का धंधा है, हमारे लिए सूरज तक अंधा है। हमारी जिंदगी का तो यही हाल है, हमारे लिए तो हर रोज नया साल है।
सरकारी जमीन पर तख्त डाल कर कब्जा जमाए बैठे एक बुजुर्ग से पूछी नये साल की योजना,या उसने बताने से कर दिया मना। उबासी लेकर मुंह खोला, कुछ अलग अंदाज में बोला। जेहन में नये साल जिक्र नहीं है, क्योंकि मुझे किसी तरह की फिक्र नहीं है। बड़ा बेटा बेरोजगारी भत्ता पा रहा है, छोटा मुफ्त में भोजन, किताबें, यूनीफार्म, बस्ता के साथ वजीफा ऊपर से ला रहा है। बेटी को कन्या विद्याधन व साइकिल, उसके भाई को मुफ्त में लैपटॉप, हम भी हाईटेक हो रहे हैं जवाब। अब मोबाइल भी मिलेगा, गाने सुनने का शौक फिर से खिलेगा। मुझे और बुढिय़ा को मिल रही वृद्धावस्था पेशन, कब्जे की जमीन, मुफ्त में बिजली पानी तो फिर किस बात की टेंशन? अपना तो बहुत अच्छा हाल है, निखालिस वोटर हूं, सो हर रोज नया साल है।
एक युवा से पूछने के लिए जैसे ही सवाल जागा, युवा ने पहले ही सवाल दागा। एक बात बताएंगे, आप नये साल में क्या पाना चाहेंगे? मैने कहा हमारी तो हैं दुआएं, नये साल में सस्ता हो राशन और दवाएं। गर्भस्थ कन्याओं की हत्या न हो, मजबूरी की मारी कोई नारी परित्यक्ता न हो। हर हाथ को काम, हर पेट को रोटी मिले, भाईचारा का फूल हर मन में खिले, देश में कहीं दंगा न हो, किसी का किसी से पंगा न हो। जमींदोज हो जाए काला धन, मुस्कान बटोरे जन -मन। एटीएम नोटों से भर जाएं, बैंक खुशी खुशी नोट दिलाएं। किसी के साथ अप्रिय घटना न हो, कोई रेल दुर्घटना न हो। सिख, ईसाई या कि हिंदू-मुसलमान, हर चेहरे पर हो मुस्कान। राजनेताओं का जमीर जागे, स्वार्थ पीछे, देश हो आगे। खुशियों से हर कोई हो मालामाल, ऐसी सौगातें बांटे नया साल। सभी मिलजुल कर हर त्योहार मनाएं ।
दुश्मनी मिटाएं, दोस्ती बढ़ाएं ।
नववर्ष की शुभकामनाएं….
एक्सीलेंट राइटिंग
शानदार प्रसंग
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