आदिवासी समाज सदैव अपनी अनोखी परंपराओं के लिए पहचाना जाता है । ऐसी ही एक अनोखी परंपरा गुजरात राज्य के छोटा उदयपुर में लड़के के विवाह के समय पालन किया जाता है ।
इस समुदाय विशेष में लड़के की शादी में लड़का दूल्हे की तरह पूरा तैयार तो किया जाता है ,पर वो बारात लेकर नही जाता । दूल्हा अपनी माँ के साथ घर पर ही रहता है।दूल्हे की जगह दूल्हे की कुँवारी बहन उसका प्रतिनिधित्व करती है। वो बारात में दूल्हे के तरह सभी रिवाजों को निभाती है। बहन ही दुल्हन के साथ सात फेरे भी लेती है,और विदाई कराकर दुल्हन को घर भी लाती है।
अगर किसी परिवार में छोटी बहन नही है तो किसी अन्य कुँवारी लड़की को तैयार किया जाता है। इस परंपरा का चलन केवल तीन गाँवों सुरखेड़ा,सनाडा और अंबल में है। यह परंपरा इस क्षेत्र की खास पहचान है। यहां के लोगों का मानना है ,जब भी लोगों ने इस परंपरा को अस्वीकार किया या इसकी अनदेखी की ,तो इनके समाज को नुकसान हुआ ।कई बार जब लोगों ने इसका पालन नही किया तो उनका विवाह सफल नही हुआ या फिर वैवाहिक जीवन सुखद नही रहा।
इसके पीछे एक पुरातन मान्यता भी बताई जाती है । इस जनजातीय समाज मे एक लोक कथा के मुताबित तीनों गांव के ग्राम देवता कुँवारे थे।इसलिए उन्हें सम्मान देने के लिए वो इस प्रथा का निर्वाहन कर रहे है। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से दूल्हे सुरक्षित रहते हैं । जो भी कारण हो इस समाज के सभी जन पूरी श्रद्धा के साथ इसका पालन करते आ रहे हैं ।