अमानगढ़ टाइगर रिजर्व -उत्तर प्रदेश का मिनी कॉर्बेट

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Dr. Rakesh Kumar Singh

साल, खैर और सागौन के विशाल वृक्षों के बीच बह रही फीका और बनेली नदियों के संगम में अठखेलियां करते हाथियों का झुंड और उन्हें दूर से निहारता ग्रासलैंड में चर रहे चीतलों का समूह और दूर क्षितिज पर नीले आकाश को छूने को तत्पर पर्वतमाला और बाघ की दिल दहलाती गर्जना। अमानगढ़ टाइगर रिजर्व भारत के कुछ उन रिजर्व्स में से एक है जहां ग्रासलैंड, वेटलैंड और सघन वन का अद्भुत समन्वय बरबस ही किसी भी प्रकृति प्रेमी को मंत्र मुग्ध कर सकता है। एक ओर जहां अधिकतर टाइगर रिजर्व में पर्यटकों की गहमा-गहमी और सफारी बुकिंग के लिए जद्दोजहद रहती है, वहीं अमानगढ़ में आपको परिवार के साथ बहुत सुकून से यादों भरे सुनहरे शांत पल बिताने का मौका मिल सकता है। हरिद्वार पीलीभीत राष्ट्रीय राजमार्ग पर बिजनौर जनपद के धामपुर से थोड़ा आगे बढ़ने पर बादीगढ़ चौराहे से एक रास्ता आपको केहरिपुर के जंगलों तक लेकर जाता है। केहरिपुर ही वह स्थान है जहां 15 नवंबर से 15 जून तक अमानगढ़ टाइगर रिज़र्व के लिए सफारी की बुकिंग होती है। यह बुकिंग सुबह और शाम में से किसी भी ट्रिप के लिए की जा सकती है। बाकी समय अत्यधिक वर्षा के कारण बाघ अभयारण्य दर्शकों हेतु बंद रहता है।

केहरिपुर से जंगलों में प्रवेश करते ही झींगुरों की आवाज और चीतलों के झुंड आपको तुरंत ही सुकून देते हैं। जिप्सी के जंगल में आगे बढ़ते ही रास्ते में बने हाथियों के फुट प्रिंट मन में रोमांच पैदा करते हैं। धीर-धीरे जिप्सी सघन जंगलों में प्रवेश कर जाती है। यहां एक शांत और स्थिर वतावरण आपको समस्त चिंताओं से निश्चित ही मैं मुक्त कर देता है। मन को आनंदित करती विभिन्न पक्षियों की चहचहाहट और झींगुरो का शोर क्षण भर के लिए आपको आंखें बंद कर प्रकृति का संगीत सुनने को मजबूर कर देता है। अंग्रेजों के समय का सन 1931 में बना वन विश्राम भवन ब्रिटिश और भारतीय वास्तुकला का मिश्रण है। जिसे देखकर आप निश्चित ही पल भर को उस ज़माने में पहुंच जाते हैं। यहां से वन और अधिक सघन होते जाते हैं। इस स्थान से आगे चलने पर रास्ते में कभी-कभी बाघ के पगमार्क मिलने प्रारंभ हो जाते हैं। जो यह प्रदर्शित करता है की अभी कुछ देर पूर्व ही यहां से बाघ अपने क्षेत्र की गश्त पर निकला होगा। कहीं-कहीं हाथियों के भी पांव के निशान साथ में ही दिखना अमानगढ़ में एक सामान्य प्रक्रिया है। परंतु दर्शकों को यह अत्यधिक रोमांचित करता है। बीच बीच में जंगल के रास्ते के बगल वाटर होल और बरसाती झीलों में आराम से बैठे बाघ को देखते ही पर्यटक मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।

आपकी जिप्सी सघन वन में छोटे छोटे बरसाती नदी नालों को भी पार करती हुई आगे बढ़ जाती है। कॉर्बेट नेशनल पार्क के नजदीक होने से यहां हाथियों के समूह भी जंगल में विचरण करते दिखने की संभावना रहती है। वन के इस सोलह किलोमीटर के आनंद भरे सफर में कब आपकी जिप्सी झिरना पहुंच जाती है इसका अहसास आपको तभी होता है जब आपको दूर क्षितिज पर उत्तराखंड स्थित कॉर्बेट नेशनल पार्क की पहाड़ियों के ऊपर और बीच घाटी में फैले जंगलों के दर्शन होते हैं। यहीं पर पर्यटकों के लिए विशाल पेड़ों के बीच सुरम्य वातावरण में बनी झोंपड़ी में कुछ पल बैठने का मौका मिलता है। टाइगर रिजर्व के बीच में यहां दर्शको की सुविधा के लिए छोटी सी कैंटीन की भी व्यवस्था की गई है। यह स्थान उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्य की सीमा रेखा है। अपने परिवार और मित्रों के साथ प्रकृति की सुंदरता को निहारते हुए आपके हाथ में काफी या चाय का प्याला अमानगढ़ टाइगर रिजर्व का कभी न भूलने वाला सबसे यादगार पल बन जाता है।
अमानगढ़ की बाहरी सीमा पर स्थित विशाल पीली बांध जलाशय बर्ड वाचर्स के लिए अदभुत है। अस्सी वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में फ़ैला अमानगढ़ टाइगर रिजर्व बाघ, हाथी, तेंदुओं और अन्य वन्य जीवों के लिए आदर्श स्थान है। क्षेत्रफल के अनुसार यहां बाघों का घनत्व बहुत ही अधिक है। अमानगढ़ में मौसमी नदियों बनेली, कोठरी, पीली और फिक्का के आंचल में गगन चूमते साल एवं सागौन के घने वन के बीच बाघ की दहाड़ एक कभी न भूलने वाला अनुभव है।

-डॉ राकेश कुमार सिंह, वन्य जीव विशेषज्ञ, स्तंभकार, कवि