जब जब जिंदगी के प्रति हताशा ,निराशा और बैराग्य उत्पन्न होता है।तब-तब कुछ चेहरे,कुछ आवाजें,कुछ घटनाएं मन पर दस्तक तो देती ही हैं,दिमाग पर भी हथौड़े सी चोट करती हैं कि जब हम नही हारे तब तुम क्यों ? इस क्यों के साथ ही जीवन की एलबम के पन्ने फड़फड़ाने लगते हैं और एक पन्ना खुल कर रुक जाता है। दिखने लगती है तस्वीरे।
हिन्द महासागर के तट पर बसे मॉरीशस द्वीप की की एक रात जहां भारत से गये हम कुछ सैलानी खजूर ,नारियल के पत्तों से बनी झोपड़ी नुमा छप्पर के नीचे बैठे थे। हमारी संख्या बारह थी।सभी अपने -अपने जीवन के किस्से सुना रहे थे।चांदनी रात थी समुद्र किनारे बनें होटल के अहाते से निकलकर हम लोग तट पर पर्यटकों के लिए बनाए गए शेड्स में बैठ जीवन के अनुभव को बाट रहे थे। बड़ा ही मनोरम माहौल था। अनुभवों की श्रंखला जब कपूर दंपति पर रुकी तो सब शांत और स्तब्ध थे कि देखे तो क्या अनुभव बताते है।मैं उनसे पूर्व परिचित नही थी ,सो मचल गयी प्लीज कुछ बताइए अपना सुख-दुःख ।पूरे ग्रुप में सर्वाधिक हँसने मुस्कुराने, खूबसूरत ड्रेसेज पहने पहनने वाले कपूर दंपत्ति से मुझे किसी मजेदार वाकया सुनाने की उम्मीद थी,किंतु वो दोनों शांत थे। तभी मेरे बगल में बैठी किरण ने मेरी हथेली पर दवाव डाल कर शांत रहने को कहा।
मैं शांत तो हो गयी मगर जिज्ञासा की लहरें हिन्द महासागर से भी तेज हिलोरे लेने लगी। मेरे शांत होते ही मिसेज कपूर तेजी से हसीं और बोली अच्छा मैं एक गीत सुनाती हु और उन्होंने खामोशी फ़िल्म का गीत ‘हमने देखी है, उन आखों की महकती खुशबू ‘ गाना सुरु किया तो माहौल में जैसे चाश्नी घुल गयी। तरासे हुए बदन की स्वामिनी मिसेज कपूर फ़िल्म की नायिका सी एक सम्मोहन बिखेर रही थी और गीत समाप्त होने तक वातावरण फिर सामान्य हो गया।
सब सामान्य हो गया था मगर मेरी जिज्ञाशा सामान्य नही हुई थी। आधी रात से ज्यादा समय मस्ती करने के बाद जब हम अपने- अपने कमरे में गए तो मैं खुद को रोक नही सकी और अपनी रूम पार्टनर किरण से पूछ बैठी कि बताओ न तुमने मुझे क्यो रोका था।
किरण ने कुछ क्षण मेरे चेहरे को घूरा ।शायद वो थाह ले रही थी मेरी सहन शक्ति की कि मै सुन कर क्या रिएक्ट करूंगी।और जब उसने बताया कि कपूर दंपत्ति का इकलौता बत्तीस साल का बेटा ,बहू, एक पांच साल का पोता और तीन साल की पोती अभी दो साल पहले एक कार एक्सीडेंट में एक साथ चले गए तो मुझे लगा मेरे पैरों के नीचे धरती कांप रही है।उन लोगों की मौत पर नही कपूर दंम्पत्ति के जीवन जीने के हौशले से। मैं स्तब्ध थी कि क्या इतनी हिम्मत भी किसी में हो सकती है। मुझे कपूर दंम्पत्ति में इंसान नही साक्षात ईश्वर नज़र आया ये कहता हूं।
एक जीवन एक सृष्टि । जिंदगी जीना मनुष्यता की पहचान है, मृत्यु तो शाश्वत है।