दो यथार्थ

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Dr. Kamal Musaddi

अंकुश

एक देश दूसरे देश की
सीमाओं का अतिक्रमण ना करे
आदमी आदमी से क्यों लडे
क्यो बनाये जाये विश्व विनाशक हथियार
जब सबके भीतर भरा हो
अनंत अक्षुण्ण असीम प्यार
पर
इतिहास गवाह है कि
सत्ता हमेशा सत्ता से टकराई है
सत्ता का दूसरा नाम ही लड़ाई है
और लडाई हेतु हथियार
खतरनाक आत्मघाती विध्वंसक बेशुमार
रक्तपात मानवता घात
हथियारों की मजबूरी है
बावजूद इसके
इन पर नैतिक अंकुश जरूरी है।

यदि

सबकी जवानों पर लिख गये है नारे
तनी हुयी मुट्ठियो मे इन्कलाब
सभी तैयार है देने को
ईट का पत्थर से जवाब
फिर भी कुछ भी तो नहीं बदला
वही भीड़ वही चेहरे वही फौज वही अमला
वैसे ही चल रहे है यातना शिविरों के व्यापार
पहले से ज्यादा लोमहर्षक खूनी और उत्तेजक होते जा रहे है अखबार
फिर इन इन्कलाब तनी मुट्ठियो और नारों का अर्थ क्या नित्य नये भाषणों और गुलपाडा खिलाने वाले आश्वासनों का अर्थ क्या है।
धीरे-धीरे आदिम युग की तरफ लौटते हम तुम
आओ मुट्ठियां खोलें बाहें फैलाये
जुबान के नारे खुरचकर उन पर मिश्री के पेड़ उगाये
इतिहास के पन्नों में दबा दे हथियारों की वर्णमाला
आदिम युग से वापस लौटे
उंगलियों मे पकडे़ एक-दूसरे के लिए निवाला
यदि ऐसा कर सके तो ही हम एक नया इतिहास रच सकेगें
वरना वक्त के पन्नों पर हम बचे भी तो
हिरोशिमा और नागासाकी की तरह बचेगे।