सोच बदलें,जीवन बदलें

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Pankaj Bajpai

व्यक्ति यदि अपने विकास में स्वयं के महत्त्व को मूल रूप से अंगीकृत कर ले तो वह जीवन मे सफलता की सीढ़ियां आसानी से चढ़ वसक्ता है। मनुष्य में असीम ,अनन्त शक्ति है,जिसका सही सोच से,सही दिशा में,जिसने उपयोग किया है,वह ” जो चाहा वह पाया”जैसी उक्ति को चरितार्थ कर अपने लक्ष्य पर विजय प्राप्त कर सकता है।

मैं बहुत पढ़ने के बाद कम अंक लाता और निराश हो जाता था,किसी प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान पर आता और निराश हो जाता था,तो मेरी माँ सदैव मुझमें ऊर्जा का संचार करने के लिए ,मुझे उत्साहितवकर फिर प्रयास करने की प्रेरणा देने के लिए कहा करती थीं,” मन के हारे हार है,मन के जीते जीत” अर्थात जो अपने मन से हार मान लेता है,वह हमेशा हार का मुंह देखेगा,किंतु जिसने अपने मन में ठान लिया कि जीतना है,वह विजय प्राप्त करके ही रहता है।

लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपनी ऊर्जा को केंद्रित करें।सारी ऊर्जा जब एक जगह एकत्र हो जाती है,तब किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने की पूरी शक्ति मिल जाती है।यह आपके अंदर उत्साह,जोश और जुनून का संचार करती है। इनके द्वारा आप किसी भी लक्ष्य को हासिल कर सकते है।आप अपनी ऊर्जा को इस तरह केंद्रित करें ,जैसे कोई स्टूडेंड काँटेक्स लेंस के फोकस को दूर रखें कागज के टुकड़े पर करता है और कागज बिना आग के भी जलने लगता है।

अधिकांश लोगों में ये कमी पाई जाती है कि वह लक्ष्य निश्चित करने के बाद भी अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं।कुछ लोग अपने अंदर उत्त्पन्न डर की वजह से ऐसा करते हैं।मन मे उत्तपन्न डर उन्हे लक्ष्य से से ध्यान भटका देती है,जो लक्ष्य तय करते हैं,उस तक नही पहुँच पाते हैं,मन में डर को स्थान न दें।

कुछ लोग दूसरों की बातों के बहकावे में आकर अपबे लक्ष्य से भटक जाते हैं।आने द्वारा निर्धारित लक्ष्य तक नही पहुच पाते हैं।लक्ष्य निश्चित करने के बाद भी भटक जाते है।जिनके जीवन का हर छोटा-बढ़ा फैसला कोई दूसरा करता है,वे दूसरे लोगों के बहकावे में आकर अपबे लक्ष्य से भटक जाते हैं।

ऐसे लोग कभी सफल नही हो सकते ,क्योंकि जब कभी भी वे नए लक्ष्य को लेकर अपना काम शुरू करेंगे,फिर से कोई दूसरा उन्हे दिग्भ्रमित कर देगा और वे फिर शून्य से शुरु होकर शून्य पर ही समाप्त हो जाते हैं।

पिछले कुछ वर्षों में युवाओं में नौकरी के प्रति द्रष्टिकोण बहुत बदला है।जहां ,पहले बेहतरीन अंक अच्छी नौकरी और सुनहरे भविष्य का आधार माने जाते थे।वहीं अब कम अंक वाले युवाओं को भी अपना भविष्य संवारने में दिक्कत नही हो रही ,बल्कि यह समझ लें-हुनर ,अच्छे व्यवहार और अपबे काम के प्रति समर्पण रखने वाले उनसे कहीं आगे निकल जाते हैं।

कम अंक आने पर घोर निराशा की बजाय उसे सामान्य तौर पर लेना चाहिए।आजकल काम के ऐसे अनेक रास्ते खुल गए हैं,जिसमें भविष्य में आगे बढ़ने के बहुत से अवसर हैं।नौकरी के लिए आजकल बड़ी-बड़ी डिग्री से ज्यादा नयी-नयी सोच की अधिक आवश्यकता है।

मनुष्य में सृजन की ईस्वर -प्रदत्ता शक्ति है,जिसके द्वारा वह जीवन में अनेक नए आयामों को सृजित कर सकता है,पर जिंदगी भर ,किंतु परंतु और अदृश्य भय उसे नवाचार के प्रति कदम-दर-कदम भयाक्रांत करते हुए उसकी सोच को कुंठित कर निराशा और हताशा से भर देती हैं।जीवन सुंदर और सरल है,व्यर्थ की भ्रांतियां हमारे प्रयासों में व्यवधान बन हमें सफलता से दूर ले जाती हैं।हमारी सोच को गलत दिशा में ले जाकर असफलता के गर्त में धकेल देती हैं।

जीवन में सफल होने का सबसे सरल मंत्र है,”अपनी सोच को बदल दें।आपका जीवन बदल जाएगा”।

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