अर्ध-शलभासन

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Dr. S.L. Yadav
बिधि ,लाभ एवं सावधानियाँ –

शलभ एक किट को कहते है और शलभ टिड्डे को भी। इस आसन में शरीर की आकृति कुछ इसी तरह की हो जाती है इसीलिए इसे शलभासन कहते है। एक-एक पैर को बारी – बारी ऊपर उठाने से इस आसन को अर्ध-शलभासन कहते है। 
 
बिधि  पेट के बल लेटकर सबसे पहले ठोड़ी को भूमि पर टिकाएँ। फिर दोनों हाथों की उंगुलियों को आपस में फसाकर चिन (ठोड़ी) के नीचे रखकर अब श्वास अन्दर लेकर पहले बायें पैर को ऊपर उठाएँ १० सेकेंड रोककर वापस आने के लिए धीरे-धीर पैर को भूमि पर ले आए। फिर दाहिने पैर से भी यही करते हैं। 10 बार कर सकते हैं।
लाभ –
  • मेरुदण्ड के नीचे वाले भाग में होने वाले सभी रोगो को दूर करता है।
  •  कमर दर्द एवं सियाटिक दर्द के लिए विशेष लाभप्रद आसन है।
  • यह आसन पीठ की मज़बूती व लचीलापन बढ़ाता है।
  • गर्दन और कन्धों कि नसों को आराम देता है व मज़बूत बनाता है।
  • पाचन क्रिया को सुधारता है व पेट के अंगो को मज़बूत बनाता है।
  • पेट के निचले भाग की चर्वी को कम करता है।
  • मूत्र तंत्र को मजबूत बनाता है।
  • हार्मोनल समस्याओ को ठीक करता है।
  • कमर को पतला करने में मदद मिलती है।
  • शरीर को हल्का एवं ऊर्जावान बनाने में मद्त मिलती है।

सावधानियाँ -पेट का बड़ा आप्रेसन एवं गर्भावस्था में चिकित्सक की सलाह जरूर लेना चाहिए।