उत्कटासन

0
2475
DR. S.L. YADAV
इस आसन में शरीर थोड़ा ऊपर की तरफ उठा रहता है ,अथवा पूरी तरह से आसन पर स्थित न होने के कारण योगियों ने इसका नाम उत्कटासन रखा। यह आसन अंग्रेजी के Z के समान बनता है। इसे कई प्रकार से कर सकते है।
बिधि,लाभ एवं सावधानियाँ –
उत्कटासन की बिधि –सबसे पहले किसी हवादार एवं समतल जमींन पर योग मैट (चटाई) बिछाकर
दोनों पैरों में 1 फिट का अंतर (फासला ) रखते हुए दोनों हाथों को कंधे के सीध में सीधा रखकर दोनों
पैरों को घुटने से मोड़कर कमर के साथ वजन रखते हुए धीरे धीरे इतना नीचे तक बैठते हैं कि कमर
घुटने से थोड़ा नीचे चला जाए दोनों हाथ कंधे जितनी ऊंचाई पर रखते हुए 1 से 2 मिनट या अपनी
क्षमतानुसार रोककर वापस आ जाते है। सांस सामान्य रखते हुए प्रसन्न मुद्रा में सामने देखते हैं।
इस तरह से आप 2 बार कर सकते हैं।
उत्कटासन के लाभ  –
  • यह आसन स्त्रियों के मासिक चक्र को रेगुलर करता है।
  • पौरुष ग्रंथि (प्रोस्ट्रेट) को मजबूत बनाता है एवं सही आकार प्रदान करता है।
  • उत्कटासन पंजों को मजबूत करने में बड़ी भूमिका निभाता है।
  • यह आसन वीर्य के प्रवाह को उर्ध्वगामी करता है।
  • अखण्ड ब्रम्हाचर्य के लिए यह आसन बहुत उपयोगी है।
  • हिप्स को कम करके उन्हें सही आकार प्रदान करता है।
  • यह जांघों को पतला एवं स्वस्थ रखता है।
  • घुटनों को लचीला बनाकर शक्ति प्रदान करता है।
  • इस तरह से आपके पैरों को मजबूत बनाता है और चलने फिरने में मदद करता है।
  • पाचन तंत्र की सक्रियता बढ़ाने में मदद करता है।
  • गठिया रोग में इसका अभ्यास करने से फायदा मिलता है।
  • यह रीढ़  की हड्डी के लिए लाभदायक है।
  • छाती के मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
  • पीठ के निचले हिस्से को स्वस्थ एवं मज़बूती प्रदान करता है |
  • शरीर में संतुलन बनाने में सहायक है।
  • इस आसन का अभ्यास से शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है।
  • इसका नियमित अभ्यास से भूख खूब लगती है।
  • कब्ज को कम कर गैस समस्या को रोकता है।
  • इस आसन के अभ्यास से आप पथरी एवं हर्निया से बच सकते हैं।
  • इसके नियमित अभ्यास से वीर्य का प्रभाव सही तरीके से होने लगता है।
  • इस आसन से सम्भोग के समय स्तम्भन शक्ति (रोकना/समय) बढ़ जाती  है।
  • इसके अभ्यास से वायुदोष को ठीक करने में मदद मिलती है।
  • वज्रोली ,जल/वायु बस्ती एवं नौलि क्रिया जादातर इसी आसन में किया जाता है।
सावधानियाँ – घुटने की तकलीफ (दर्द) में ,कमर दर्द एवं ववासीर की समस्या हो तो इस आसन को नहीं करना चाहिए।
आसनो का पूरा लाभ प्राप्त करने के लिए किसी योग्य योग चिकित्सक से सीख कर अभ्यास करना चाहिए।