यह आसन गैस की समस्या को जड़ से खत्म करता है,इसलिए इसे पवनमुक्तासन के नाम से जाना जाता है।
पवनमुक्तासन की बिधि-सबसे पहले किसी हवादार एवं समतल जमींन पर योग मैट (चटाई) बिछाकर पीठ के
बल लेटते है।फिर दोनों पैरों को घुटने से मोड़कर सीने की तरफ लाकर दोनों हाथ से पकड़कर पेट पर दबाव
बनाकर नाक को घुटने के पास साँस छोड़ते हुए ले जाकर यथासम्भव रोककर साँस भरते हुए वापस आते है।
इसे चाहे तो पैर पकड़कर उठकर बैठते है फिर लेटते है(आप डाउन) इसे 10 से 20 बार कर सकते है।
पवनमुक्तासन के लाभ –
- इस आसन के अभ्यास से पेट की गैस (हवा)अति शीघ्र बाहर निकल जाती है।
- इस आसन के अभ्यास से मन में प्रसन्नता आती है।
- शरीर हल्का महसूस होता है।
- पाचन शक्ति में बृद्धि होती है।
- जिनको डकारे ज्यादा आती है उनको यह आसन किसी बरदान से कम नहीं।
- इस आसन के अभ्यास से गैस से सम्बंधित सभी बीमारियाँ दूर होती हैं।
- रीढ़ की हड्डी की मसाज हो जाती है जिससे बर्टिब्रा स्वस्थ और मजबूत हो जाती है।
- रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है।
- हिप्स एवं थाई को सही आकर प्रदान करता है।
- बढ़े हुए पेट को कम करता है।
- ब्रेन को अतरिक्त आक्सीजन मिलती है जिससे प्रसन्नता आती है।
सावधानियाँ –
- कमर में ज्यादा दर्द हो तो अप डाउन नहीं करना चाहिए।
- उच्च रक्तचाप में चिकित्सक की देख रेख में करना चाहिए
- रीढ़ की हड्डी का कोई बड़ा आपरेशन हुआ हो तो भी नहीं करना चाहिए।
- पूरा लाभ प्राप्त करने के लिए किसी योग चिकित्सक से सीख कर अभ्यास करना चाहिए।