आने वाली पीढियां बड़े पंक्षी और जानवरों को सिर्फ तस्वीरों में ही देख पाएंगी । ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने अध्ययन में पाया कि अगली सदी में छोटे पक्षी और स्तनधारी जीव ही अस्तित्व को लुप्त होने से बचाने में कामयाब हो सकेंगे।ब्रिटेन में यूनिवर्सिटी ऑफ सोउथैंपटन के अनुसंधानकर्ताओं ने अगली सदी में छोटे पक्षियों और स्तनधारियों के भविष्य का आकलन किया ।
वस्तुतः पक्षियों और स्तनधारियों के लिए सबसे बड़ा खतरा मानव जाति बनी हुई है । इंसानी हस्तक्षेप के प्रभाव ,जैसे – वन की कटाई,शिकार,गहन खेती,शहरीकरण,और ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों से इनके प्राकृतिक निवास स्थान खत्म हो गए हैं ।
ब्रिटेन के वैयानिको के दुनिया भर के छोटे पक्षियों और स्तनधारियों के भविष्य का आकलन किया। उनके अनुसार बड़े आकार और हर वातावरण में अनुकूल न हो पाने वाले जीव सौ साल बाद नहीं बचेंगे।
छोटे, फुर्तीले और अधिक प्रजनन क्षमता वाले ऐसे जीव लुप्त होने से बचे रहेंगे ,जो छोटे कीट खाते है । ऐसे जीवों का प्रभुत्व होगा जो अलग – अलग वातावरण में खुद को ढाल सकते हैं।
कुतरकुतर के खाने वाले जीव जैसे छोटी गौरैया व ऐसी अन्य चिड़िया बची रहेंगी । चूहे सरीखे दिखने वाले ड्वार्फ गर्विल जैसे जीव खुद को बचा पाने में कामयाब होंगे।
एक लाख ,तीस हजार साल पहले हुए एक बड़े बदलाव ने स्तनधारियों के सामूहिक औसत द्रव्यमान में चौदह प्रतिसत की कमी आयी थी।वैज्ञानिकों के अनुसार स्तनधारियों के लिए अगली सदी काफी चुनौतियां लाने वाली भी हो सकती हैं।
सोध कहता है कि गिद्ध और काले गेंडे जैसे जीव लुप्त हो जाएंगे,जिन्हें जीने के लिए विशेष वातावरण चाहिए। ऐसे सभी जीव जो खुद को नए वातावरण के लिए जल्दी अनुकूलित नही कर पाते ,अपनी जान गवां देंगे।
शोध कहता है कि अगली सदी तक स्तनधारियों की औसत शारीरिक द्रव्यमान में सामूहिक रूप से 25 प्रतिशत की कमी आएगी।