पापिकोंडा नेशनल पार्क- प्रकृति का अप्रतिम सौंदर्य
हमारे देश के समुद्र तट; प्राकृतिक सौंदर्य की मनमोहक छटा बिखेरते हैं। किताबों, कहानियों और पर्यटन विज्ञापनों में भारत के पश्चिमी घाटों का विवरण मिल जाता है, परंतु पूर्वी घाटों का अप्रतिम सौंदर्य, शांति और आकर्षण अद्वितीय है, जिसका वर्णन आदिकाल से रामायण व अन्य ग्रंथों में मिलता है। इस वर्ष मार्च माह में बटरफ्लाई मीट में आंध्र प्रदेश राज्य के पापिकोंडा हिल्स के आंचल में बसे पापिकोंडा नेशनल पार्क जाने का अवसर मिला। नई जगह जाने के रोमांच के साथ हम भी अधीरता से अपने विमान के राजमुंद्री एयरपोर्ट पर उतरने की प्रतीक्षा कर रहे थे। राजमुंद्री एयरपोर्ट पर उतरते समय ही प्राकृतिक दृश्यों ने हमें एहसास करवा दिया की यह यात्रा कितनी रोमांचक व अविस्मर्णीय होने वाली है। राजमुंद्री एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन से पापीकोंडा नेशनल पार्क लगभग दो घंटे में पहुंचा जा सकता है। प्राकृतिक सौंदर्य व पानी की बहती कल-कल धाराओं के बीच बसे इको हट्स प्रकृति की गोद में कुछ दिन शांति पूर्वक बिताने के लिए उपयुक्त हैं। नवविवाहित युगलों के लिए यह स्थान कश्मीर के गुलमर्ग से भी अधिक आकर्षक है। जहां मेरदुमलाई में बहती नदी के आसपास बने इको हट्स आपको उचित टैरिफ में अच्छी सुविधाएं उपलब्ध करवाते हैं। यह स्थान महानगरों के कोलाहल से दूर सुकून भरी जगह है। राजमुंद्री रेलवे स्टेशन, हावड़ा चेन्नई मुख्य मार्ग पर स्थित दक्षिण मध्य रेलवे का प्रमुख स्टेशन है। यहां से देश के सभी मुख्य नगरों के लिए ट्रेनें उपलब्ध हैं। दिल्ली से यहां पहुंचने में लगभग 30 घंटे लगते हैं। विशाखापट्टनम नगर से मात्र 200 किलोमीटर की दूरी पर होने से यहां, विशाखापट्टनम एयरपोर्ट या रेलवे स्टेशन से 3 – 4 घंटे की यात्रा करके पहुंचा जा सकता है। मान्यता है कि रामायण में वर्णित किष्किंधा पर्वत यहीं हैं। महान सम्राट सुग्रीव तथा बाली का साम्राज्य इन्हीं पर्वतों पर फैला था। आज यह पर्वत कोया व कोंडारेड्डी ट्राइब्स का मूल निवास हैं। पापिकोंडा के मेरदुमल्लई में स्थित जंगल स्टार कैंप साइट, तीन तरफ वलमुरु नदी से घिरे गहरे तथा अनछुए जंगल में रहने के लिए अद्भुत स्थान है। यहां से बाली व सुग्रीव का युद्ध स्थल स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। किवदंती है कि यहां चारों तरफ घने जंगलों से घिरा खुला ग्रासलैंड ही रामायण में वर्णित बाली और सुग्रीव के संग्राम का मैदान है।
पापिकोंडा नेशनल पार्क, आंध्र प्रदेश व तेलंगाना में लगभग 1000 वर्ग किलोमीटर में फैला विस्तृत घना व अनंवेषित जंगल है। इसका विस्तार मुख्यतः वेस्ट गोदावरी, ईस्ट गोदावरी तथा खम्मम जिलों में है। पार्क में वैसे तो सभी जगह पानी के सोते व पिकनिक मनाते सैलानी दिख जाते हैं, परंतु पानी का मुख्य स्रोत जंगल के बीच बहती गोदावरी नदी है, गोदावरी नदी इस पार्क की सुंदरता में चार चाँद लगा देती है। कहीं कहीं यह गहराई में बल खाती चांदी की धारा सी प्रतीत होती है। गोदावरी के किनारे विभिन्न प्रकार के पक्षी व तितलियां बहुतायत में पाई जाती हैं। यह स्थान मुख्य रूप से जंगली भैंसों के प्राकृतिक आवास के लिए प्रसिद्ध है, परंतु यहां तेंदुए, बाघ, गौर, चौसिंघा, चीतल, सांभर, देसी भालू, लकड़बग्घा, जंगली कुत्ते एवं सबसे छोटे हिरण माउस डियर तथा सबसे बड़ा विषैला सांप किंग कोबरा वन्यजीव प्रेमियों तथा वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफरों को बरबस आकर्षित करते हैं। यहां आने का उचित समय माह अक्टूबर से मई है। पापिकोंडा नेशनल पार्क के पास कई ऐसी जगह हैं जहां आप कुछ घंटे की यात्रा से पहुंच सकते हैं। इनमें से प्रमुख कोरिंगा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी है जो काकीनाडा जिले में स्थित है। कोरिंगा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी की यात्रा हम अगले अंक में करेंगे तब तक आप बाली-सुग्रीव की इस पवित्र भूमि किष्किंधा की प्राकृतिक अनुपम छटा में कुछ सुकून भरे पल बिताइए।
(लेखक, कानपुर प्राणी उद्यान के प्रमुख पशु चिकित्साधिकारी हैं।)
bahut sundar
बहुत सुंदर यात्रा का वर्णन किया डॉ. साहब आप ने बहुत बहुत बधाई
बहुत बहुत धन्यवाद मित्र
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