बिधि,लाभ एवं सावधानियाँ –इस आसन का आकार हल के समान होने के कारण इसे हलासन के नाम से जाना जाता हैं। यह आसन मोटापा नाशक होने के साथ रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाने का सबसे अच्छा आसन है।
हलासन की बिधि- सबसे पहले किसी हवादार एवं शांत वातावरण में समतल जमीन पर योग मैट बिछाकर उसपर पीठ के बल लेटते है। अब साँस भरकर दोनों पैरों को इतना उठाते है की कमर भी जमीन छोड़ दे। फिर कमर पर दोनों हाथ की हथेलियों से सहारा लेते हुए साँस छोड़ते हुए दोनों पैर के पँजे चित्रानुसार सिर के पीछे जमीन पर रखकर पँजे पीछे खींच देते है। और दोनों हाथ की उंगुलियों को फसाकर जमीन पर सीधा रखकर साँस सामान्य कर देते हैं।चेहरे पर हल्की मुस्कराहट लगातार बनाये रखते है।1 से 2 मिनट(क्षमतानुसार)रोककर धीरे से वापस आकर शरीर को आराम देते हैं।
हलासन के लाभ –
- रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाकर उसे स्वस्थ बनाती है।
- पेट एवं कमर की चर्वी को कम करके उसे सुडौल बनाता है।
- रक्त संचार सिर की तरफ बढ़ने के कारण बालो का झड़ना,असमय सफेद होना जैसी समस्या दूर होती हैं।
- इसका अभ्यास चेहरे की सुंदरता में चार चाँद लगा देते हैं।
- थायरॉइड एवं पैरा थायरॉयड ग्रन्थियों पर पर्याप्त दवाव पड़ने से इसकी समस्या दूर होती है।
- पाचनतंत्र को मजबूत बनाने में मदत करता है।
- गले को सही आकार देकर उसकी सभी समस्याये दूर करता है।
- पेंक्रियाज पर दवाव पड़ने से रक्त शर्करा (डायविटीज) नियंत्रित रहती है।
- पेट के सभी आंतरिक अंगो का मसाज हो जाता है। जिससे कब्ज एवं गैस दूर हो जाती है।
- कम उम्र के बच्चो को लम्बाई बढ़ाने में बहुत लाभकारी आसन है।
- याददास्त को बढ़ाता है इसलिए स्टूडेंट्स को जरूर करना चाहिए।
- फेफड़े को साफ होने में मदत मिलती है।
सावधानियॉं – रीढ़ के आपरेशन में ,उच्च रक्तचाप,ह्रदय रोग एवं जादा कमर दर्द में इस आसन को नहीं करना चाहिए।
झटके से नहीं करना चाहिए एवं इसके बाद विपरीत आसन (धनुरासन ) करना चाहिए। इस आसन को नये योगाभ्यासी को नहीं करना चाहिए। रीढ़ की हड्डी को थोड़ा लचीला बनाकर किसी विशेषज्ञ की देखरेख में करना चाहिए।