उत्तानपादासन -मोटापा नाशक

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Dr. S.L. Yadav
बिधि,लाभ एवं सावधानियाँ 
उत्तानपादासन -इस आसन में दोनों पैरों को एक साथ ऊपर की तरफ उठाया जाता है इस लिए इसे उत्तानपादासन के नाम से जाना जाता है। इसे 30,60,90 के नाम से भी जाना जाता है। यह आसन पेट एवं कमर की चर्वी  को कम करता है।
उत्तानपादासन  की बिधि सबसे पहले किसी समतल जमीन पर योग मैट बिछाकर पीठ के बल लेट जाते है। अब दोनों हाथों को कमर के बगल में रखते हुए दोनों पैरों को एक साथ जमीन से 1 फिट (30अंश )की ऊचाई पर उठाकर थोड़ी देर रोक कर 2 फिट (60अंश )की ऊचाई पर उठाकर यहाँ पर भी यथासंभव रोककर फिर सीधा आसमान की तरफ (90 अंश) ले जाकर दोगुना समय रोक कर फिर उसी तरह से धीरे -धीरे वापस भी आते है। शुरुआत में 1 -1 स्टेप ही करते है फिर पूरा एक साथ करते है। 1 से 3 मिनट तक एक बार में रोकने का प्रयास करते है। साँस सामान्य रखते है एवं चेहरे पर हल्की सी मुस्कान बनाये रखते हैं। 2 बार कर  सकते है।  
उत्तानपादासन के लाभ –
  1. उत्तानपादासन पेट की चर्वी को कम करके बड़े हुए पेट को कम करता है।
  2. कमर एवं थाई (जंघाओं) को पतला करता है।
  3. पेन्क्रियाज पर खिचाव आने के कारण यह रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) को नियंत्रित रखता है।
  4. इसके नियमित अभ्यास से पैरो का दर्द दूर हो जाता है।
  5. घुटनो में रक्त संचार बढ़ने से घुटने की सभी समस्यायें दूर हो जाती हैं।
  6. मूत्र जनन तंत्र को मजबूत बनाकर हार्मोन्स की अनियमितता को दूर करता है।
  7. उत्तानपादासन का अभ्यास टली नाभि को वापस लाकर उसे मजबूत बनाता है।
  8. गैस,कब्ज एवं पाचन संबंधी समस्यायें निश्चित रूप से दूर हो जाती है।
  9. इसका नियमित अभ्यास शरीरिक ऊर्जा को बढ़ा डरता है।
  10. रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाता है।
  11. उत्तानपादासन का नियमित अभ्यास वीर्य दोष को दूर कर देता है।
उत्तानपादासन की सावधानियाँ -कमर दर्द ,हर्निया,गर्भावस्था एवं पेट का कोई 6 माह से कम की कोई सर्जरी हो तो नहीं करना चाहिए। 
विशेष –किसी भी आसन का अभ्यास किसी योग्य योग विशेषज्ञ की देखरेख में ही करना चाहिए। आसन हमेशा शौंच से निबृत्ति होकर खाली पेट किसी स्वच्छ हवादार जगह पर ही चाहिए। आसन शांत मन से करना चाहिए।