इटावा सफारी -बीहड़ों में गूंजती वनराज की गर्जना

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Dr. Rakesh Kumar Singh

“उन्नीसवीं शताब्दी का उत्तरार्ध”

भारत के रजवाड़े अंतिम सांसे गिन रहे थे और बरतानिया हुक़ूमत अपनी जड़ें जमा चुकी थी। इसी दौरान एक टीले पर अकेला बैठा वनराज दूर तक दृष्टिगोचर होते यमुना के बीहड़ों में अपने सिकुड़ते साम्राज्य के अस्त होते सूरज को देख रहा था। कभी उसने और उसके पूर्वजों ने अपने पूरे प्राइड यानी बब्बर शेरों के कुनबे के साथ इन बीहड़ों पर शान से अपने विशाल साम्राज्य का परचम लहराया था। आज भी उसके गले पर लहराते अयाल के बाल इस बब्बर शेर के गौरवशाली अतीत के गवाह थे। तभी अचानक ब्रिटिश एनफील्ड राइफलों की गोलियों ने वनराज के विशाल शरीर को छलनी कर दिया। और उस दिन यमुना के बीहड़ अंतिम बार वनराज की दिल को दहला देने वाली एक जोरदार दहाड़ के गवाह बने। इसके साथ ही इन बीहड़ों में सिंह की गर्जना सदा-सदा के लिए शांत हो गई। बरतानिया हुक़ूमत के गोरों और उनके चाटुकार राजाओं ने शान से उस वनराज के बेजान शरीर पर पैर रखकर अपनी तस्वीरें बनवाईं।

“सन दो हजार चौदह”

उक्त घटना के लगभग डेढ़ सौ वर्षों बाद इतिहास अपने आप को दोहरा रहा था, यमुना के ये बीहड़ एक बार फिर बब्बर शेरों की बुलंद आवाज के साक्षी बन रहे थे। जी हां, हम बात कर रहे हैं “लायन सफारी इटावा” की। इन बीहड़ों में गूंजती वनराज की आवाज किसीको भी रोमांचित कर सकती है।
प्रवेश द्वार पर खड़े दो विशाल बब्बर शेरों की प्रतिमाएं इटावा-ग्वालियर मार्ग से गुजरने वाले प्रत्येक व्यक्ति को बरबस रुकने को मजबूर कर देती हैं। अंदर प्राचीन काल की इमारतों सदृश्य संरचनाएं और खूबसूरत पेड़-पौधे जैसे आपका ही स्वागत कर रहे होते हैं।

यहां भारतीय सेना के गौरव विजयंत टैंक और पचास के दशक का भाप का रेल इंजन दर्शकों को सेल्फी खींचने पर मजबूर कर देते हैं। फोर-डी थिएटर और इंटरप्रिटेशन सेंटर भी वन्यजीवों के बारे में अदभुत जानकारी प्रदान करते हैं। थोड़ा ही आगे प्राचीन स्थापत्य शैली में निर्मित एक पुल सभी को अचंभित कर देता है। इस पुल को पार करते ही दर्शकों को जीप या बस में बैठाकर सफारी की सैर कराई जाती है। डियर सफारी में कुलांचे भरते चीतल और एंटीलॉप सफारी में सींग लड़ाते कृष्ण मृग किसी विशाल वन क्षेत्र में होने जैसा एहसास कराते हैं। बीयर सफारी में दीमक ढूंढ़ते भालू को देखना एक रोमांच पैदा करता है।

इसी बीच सफारी के सुंदर लैंड-स्केप और हरियाली का आनंद लेते हुए दर्शक कब बब्बर शेरों की सफारी में प्रवेश कर जाते हैं कि पता ही नहीं चलता। गिर और गिरनार के बाहर यही एक स्थान है जहां एशियाई शेरों को जंगल की पगडंडियों पर अपने साम्राज्य की गश्त करते हुए देखा जा सकता है। इटावा सफारी कई प्रकार के अदभुत पक्षियों का भी निवास है। यहां का शांत और मनोरम वातावरण कुछ पल के लिए दर्शकों को जिंदगी की दौड़ भाग से दूर तरोताजा महसूस कराने में पूरी तरह से सक्षम है।
ग्वालियर और आगरा के नजदीक होने से वहां आने वाले पर्यटक भी एक दिन का टूर बनाकर वन्य जीवों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और यहां के मनोरम दृश्यों का आनंद लेकर कभी न भूलने वाली यादों के साथ शाम तक आसानी से वापस लौट सकते हैं।

यमुना नदी के किनारे 350 हेक्टेयर में स्थित लायन सफारी बब्बर शेरों के संरक्षण का एक अनूठा प्रयास है। जो अपने आप में अनोखी, अद्भुत और अतुलनीय होने के साथ ही साथ बब्बर शेरों के संसार की एक जीवंत और अविस्मरणीय प्रस्तुति है।

-डॉ राकेश कुमार सिंह, वन्य जीव विशेषज्ञ, साहित्यकार एवम कवि