बिजली के बढ़ते उपयोग और उसके उत्पादन को किस प्रकार सस्ता किया जाए, और किन किन संसाधनों से बिजली का उत्पादन किया जा सकता है । इसके लिए समय समय पर सोध किये जाते रहे है। इस क्षेत्र में बहुत समय से प्रयासरत प्रोफेसर मनोज शुक्ल ने गर्मी से बिजली बनाने का दावा किया है।
प्रो.शुक्ल हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विवि ( HBTU) कानपुर के इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग की प्रयोगशाला में छात्रों के साथ “थर्मोकपल तकनीक ” तैयार की । ‘सी बैक इफेक्ट’ पर कारगर इस तकनीक के उपयोग से जहां बिजली तैयार हो जाएगी ।सोलर तकनीक से तैयार होने वाली बिजली की तुलना में इसका उत्पादन काफी किफायती होगा।
सोलर तकनीक का इस्तेमाल भारत के बजाय इंग्लैंड व स्विट्ज़रलैंड जैसे देशों के किया जाए तो ज्यादा बेहतर है।क्योंकि वहां रोशनी अधिक समय तक रहती है। क्योंकि भारत वर्ष में गर्मी अधिक और अधिक समय तक रहती है। इसलिए हम इस विधि से अधिक बिजली बनाने में सफल हो सकते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार थर्मोकपल तकनीक तापमान पर निर्भर होती है। इसमें तरह तरह के थर्मोकपल ( इलेक्टिक उपकरण ) होते हैं।जिनके उपयोग से गर्मी से बिजली तैयार की जाती है। प्रयोग के पूर्णतया सफल हो जाने पर बिजली उत्पादन में क्रांति आ सकती है। वर्तमान बिजली उत्पादन में उत्पादन में आने वाले खर्च के कारण उपभोक्ता को बिजली बहुत महंगी मिलती है। ये बिजली उत्पादन प्रदूषण रहित होगा । बिजली उत्पादन में पर्यावरण का संतुलन बनाए रखना एक चुनौती है।ये सोध इस समस्या से निजात दिला सकती है।