नौकासन (बुद्धिवर्धक आसन )

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Dr. S.L.Yadav

नौकासन -इस आसन का आकर नाव के समान होने के कारण इसे नौकासन के नाम से जाना जाता है। जैसे नदी या समुंद्र को यदि समस्या मान लिया जाय तो जिसको पार करने के लिए नाव का सहारा लेते हैं ठीक उसी प्रकार सांसारिक भौसागर से सफलता पूर्बक पार पाने के लिये नौकासन का सहारा लेते हैं। यह आसन पूरे शरीर को एक यूनिट में लाने का काम करता है जिससे मानसिक समस्यायें (तनाव,चिंता,अवसाद) निश्चित रूप से दूर करने में मदत मिलती है।

नौकासन की बिधि -सबसे पहले किसी समतल जमींन पर योग मैट (चटाई ) बिछाकर पेट के बल लेटते हैं। दोनों पैरों को आपस में मिलाकर दोनों हाथों को सामने लेजाकर हाथ की हथेलियों को आपस में मिला लेते हैं। ठोड़ी(चिन) को जमींन पर रखते हुए दोनों हाथ को कान से लगा लेते हैं। अब साँस भरते हुए आगे से सिर,कंधे,चेस्ट एवं दोनों हाथ तथा पीछे से दोनों पैरों को ऊपर की तरफ सीधा रखते हुए अधिकतम ऊंचाई पर उठाते है। दोनों हाथों के अँगूठे को देखते हुए साँस सामान्य रखते हैं। यथासम्भव रोककर फिर धीरे से वापस आ जाते है। 1 से 3 मिनट रोक सकते हैं। शुरुआत में इसे २ बार कर सकते है।

नौकासन के लाभ-

    • इस आसन के अभ्यास से सभी मानसिक समस्यायें (तनाव,चिंता,अवसाद) निश्चित रूप से ठीक होती हैं।
    • स्नायु मंडल (नर्वस सिस्टम) को मजबूत बनाता है,जिससे याददास्त तेज होती है।
    • कम उम्र में लम्बाई बढ़ाने में मदत करता है।
    • कमर तथा पेट की चर्वी कम करके शरीर को सुडौल बनाता है।
    • वजन को कम करने का काफी अच्छा आसन है।
    • नाभि संस्थान को मजबूत करता है एवं टली हुई नाभि को अपनी जगह पर वापस लेने में मदत करता है।
    • रक्त संचार चेहरे की तरफ बढ़ाकर चेहरे की सुंदरता बढ़ाता है।
    • पाचक अंगो को मजबूत बनाकर पाचन को सुचाऊ बनता है।
    • पीठ की माँशपेशियों को मजबूत बनाता है जिससे कमर दर्द की सभी सम्भावनायें ख़तम हो जाती हैं।
    • किडनी को मजबूत बनाता है जिससे उसकी कार्य क्षमता में बृद्धि होती है।
    • पूरे शरीर का आलस्य दूर कर शरीर को ऊर्जावान बनाता है।
    • गैस,कब्ज एवं एसिडिटी (अति अम्लता) को दूर करता हैं।
    • फेफड़े को मजबूत बनाता है जिससे साँस की समस्याऐं दूर होती है।

नौकासन करते समय सावधानियाँ-

  • कमर दर्द ,गर्दन दर्द ,सिर दर्द एवम उच्च रक्तचाप में इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
  • पेट का 6 माह का आपरेशन हुआ हो तो भी इसे नहीं करना चाहिए।
  • अपेंडिस्क एवं हार्नियां में भी इस आसन को नहीं किया जाता।

विशेष – ध्यान को सांसो पर रखते है।आसनों को हमेशा आराम से करना चाहिए।

6 COMMENTS

  1. Thanku so much sir i luv to see ur posts regarding pranayam and yoga. Directly or indirectly u help others through these Post’s…

  2. Hello sir aap kamar drd k lie naukasan prayog bta rhe sath hee kamar drd walo ko nhi krna chahiye …yh drd m relief dega fr nhi krna mtlb..

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